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नई दिल्ली : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ब्रिटिश एजेंट और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जापानी एजेंट करार देने की आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मार्कन्डेय काटजू के खिलाफ आज राज्यसभा में सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव पारित कर इसकी कड़ी भर्त्सना की गयी।
सभापति हामिद अंसारी ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पढ़ा जिसमें काटजू द्वारा राष्ट्रपिता और नेताजी के बारे में की गयी आपत्तिजनक टिप्पणी की निंदा की गयी। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया।
प्रस्ताव में कहा गया, ‘यह सदन उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश श्री मार्कन्डेय काटजू द्वारा देश की आजादी के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस के खिलाफ की गयी हालिया टिप्पणियों की स्पष्ट रूप से भर्त्सना करता है।’ आसन की ओर से यह प्रस्ताव उच्च सदन में सभी दलों के सदस्यों द्वारा इस तरह की मांग किए जाने के बाद लाया गया।
इसके पहले शून्यकाल में सपा के नरेश अग्रवाल ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश द्वारा इस तरह की टिप्पणी करना पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार को बयान देकर इसकी भर्त्सना करनी चाहिए।
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि उच्चतम न्यायालय का कोई पूर्व न्यायाधीश राष्ट्रपिता के बारे में इस तरह की निंदनीय टिप्पणी कैसे कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह किसी दल से जुड़ा मुद्दा नहीं है और सभी दलों को इसकी भर्त्सना करनी चाहिए।
सदन के नेता अरूण जेटली ने कहा कि वह इस मुद्दे पर सदस्यों की नाराजगी से सहमत हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि गांधीजी हाल के दौर की देश की महानतम हस्ती हैं और आजादी की लड़ाई में उनकी भूमिका सर्वोच्च रही है।