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नई दिल्ली: रामनवमी के दिन जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के कावेरी हॉस्टल (Kaveri Hostel) में हुई हिंसा की घटना को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है. जांच भी जारी है लेकिन ये मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा. मंगलवार को JNUSU यानी लेफ्ट या वामपंथी छात्रों ने एक मानव शृंखला बनाई और एबीवीपी (ABVP) के छात्रों के खिलाफ नारेबाजी की.
जेएनयू (JNU) के कावेरी हॉस्टल में तकरीबन 320 छात्र रहते हैं. हॉस्टल में मुख्य दरवाजे से दाखिल होते ही दाईं तरफ मेस है जहां छात्रों को खाना खिलाया जाता है. इसी मेस के ठीक पीछे ही रविवार दोपहर 3:30 बजे रामनवमी के मौके पर हवन और पूजा का कार्यक्रम रखा गया था. इसका आयोजन कावेरी हॉस्टल में ही रहने वाले कुछ छात्रों ने किया था. इसमें शामिल होने के लिए जेएनयू के दूसरे हॉस्टल्स में रहने वाले कई छात्र भी आए थे.
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दरअसल रामनवमी के दिन मीट (Meat) ना बनाने पर हॉस्टल में ऐसा विवाद उठा कि वो हिंसा में बदल गया. मीट वेंडर को वापस भेज दिया गया और छात्रों में आपस में मारपीट हो गई. जहां एक तरफ एबीवीपी (ABVP) ने अपना पक्ष रखा, वहीं दूसरी तरफ वामपंथी छात्रों ने अपना पक्ष बताया. दोनों की तरफ से एफआईआर भी हुई. बता दें कि कार्यवाही भी चल रही है. लेकिन वामपंथी छात्र इस घटना को तूल देने से बाज नहीं आ रहे हैं और लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. यही नहीं एक दिन के पीछे राइट टू फूड (Right To Food) और एबीवीपी कैम्पस छोड़ो के नारे तक लगने शुरू हो गए हैं.
दोनों गुटों ने दावा किया कि इसमें 60 से ज्यादा छात्र घायल हुए. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने आरोप लगाया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों ने छात्रों को हॉस्टल में नॉन-वेज भोजन (Non-Veg Food) खाने से रोका और हिंसा का माहौल बनाया. वहीं एबीवीपी ने आरोप से इनकार कर दावा किया कि रामनवमी पर हॉस्टल में आयोजित पूजा कार्यक्रम में वामपंथियों ने बाधा डाली. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि परिसर में किसी भी तरह की हिंसा (Violence) को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. छात्रों को ऐसी किसी भी घटना में शामिल नहीं होना चाहिए जिससे शांति और सद्भाव भंग हो.
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एस जयशंकर (S Jaishankar), निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman), अमिताभ कांत (Amitabh Kant), संजय बारू (Sanjay Baru), अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee), अरविंद गुप्ता (Arvind Gupta) जैसे छात्रों की फेहरिस्त लंबी है. इन सभी के साथ एक चीज कॉमन है. वो ये है कि सभी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के छात्र हैं. यह सेंट्रल यूनिवर्सिटी देश के बड़े-बड़े दिग्गजों को गढ़ने की मिसाल रही है. बेशक, विवादों से भी इसका नाता रहा है. लेकिन पिछले कुछ सालों में इनमें कुछ ज्यादा इजाफा हुआ है. आतंकी अफजल (Terrorist Afzal) की बरसी पर 2016 में इसी यूनिवर्सिटी में 'भारत तेरे टुकडे़ होंगे' के नारे लगे. 5 अगस्त 2019 को जब आर्टिकल 370 को हटाया गया तो कैंपस के अंदर से अलगाववादी सुर सुनाई दिए. इसी कड़ी में अब रामनवमी (Ram Navami JNU Meat Clash) पर मीट खाने को लेकर भी राइट टू फूड जैसे नारे और सर तोड़ने की घटना भी सामने आई है. क्या रामनवमी पर हुआ विवाद टाला नहीं जा सकता था क्योंकि यूनिवर्सिटी में मीट तो हफ्ते में 3 दिन बनता ही है?
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