सोशल मीडिया से न्यायपालिका पर दबाव बनाने के बढ़ते ट्रेंड और अपनी याचिका पर मनचाहा फैसला न आने पर न्यायधीशों पर आरोप लगाने की कोशिशों की कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कड़ी आलोचना की है.
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नई दिल्ली: सोशल मीडिया से न्यायपालिका पर दबाव बनाने के बढ़ते ट्रेंड और अपनी याचिका पर मनचाहा फैसला न आने पर न्यायधीशों पर आरोप लगाने की कोशिशों की कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कड़ी आलोचना की है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि न्यायाधीशों पर सोशल मीडिया के जरिये व्यक्तिगत आक्षेप लगाना सही नहीं है. उन्होंने इस बढ़ते ट्रेंड पर चिंता भी जताई है.
रविशंकर प्रसाद ने कहा जनहित याचिका के नाम पर सोशल मीडिया में दुष्प्रचार कर अपने पक्ष में आदेश के लिए माहौल बनाना और फैसला पक्ष में न आने पर न्यायपालिका पर सवाल उठाना एक गलत ट्रेंड है. कानून मंत्री ने विपक्षी दल खासकर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कांग्रेस और उनके समर्थित वकीलों द्वारा अपने मनमुतबिक फैसला न आने पर भारत के मुख्य न्यायधीश पर महाभियोग चलाना न्यायपालिका के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों की सबसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना रही है.
आपातकाल में लोकतंत्र के सभी स्तंभों की मर्यादा भंग किए जाने का उदाहरण के रूप में पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि मोदी सरकार के बड़े नेताओं ने आपातकाल में न्यायपालिका की आजादी के लिए प्रताड़ना झेली है और इसलिए वो न्यायपालिका पर बढ़ते हमले से चिंतित हैं.
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