यूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) हर महीने के आखिरी रविवार को देश की जनता से रूबरू होते हैं. इस दौरान देश के कोने-कोने में हो रहे बदलाव और नई बयार बहाने वालों की जानकारी देकर पीएम 135 करोड़ हिंदुस्तानियों को प्रेरणा देते हैं.
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नई दिल्ली : यूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) हर महीने के आखिरी रविवार को देश की जनता से रूबरू होते हैं. इस दौरान देश के कोने-कोने में हो रहे बदलाव और नई बयार बहाने वालों की जानकारी देकर पीएम 135 करोड़ हिंदुस्तानियों को प्रेरणा देते हैं. इस सिलसिले को इस बार आगे बढ़ाया है बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में एक युवा कलाकार पर प्रधानमंत्री की बात का इतना गहरा असर पड़ा कि उसने खिलौना उत्पादन में ही अपने भविष्य को संवारने का फैसला किया है.
बीते रविवार हुई थी मन की बात
न्यू मीडिया और सोशल मीडिया के दौर में संचार माध्यमों के जरिए आज कोई भी अच्छा काम देखते-देखते प्रधानमंत्री की जानकारी तक पहुंच जाता है. और देश में विकास और बदलाव की रफ्तार जोर पकड़ लेती है. दरअसल बीते रविवार को पीएम मोदी ने अपने मन की बात में कहा था कि खिलौना न सिर्फ बच्चों के मनोरंजन उनके मानसिक विकास का साधन है बल्कि इससे छोटे उद्यमियों को रोजगार मिलने के साथ और दूसरों को काम देने का बड़ा साधन बनाया जा सकता है. इसी के साथ उन्होंने खिलौने के स्थानीय उत्पादन पर भी जोर दिया था.
इस तरह पूरा होगा रमेश का सपना
मुजफ्फरपुर के कन्हौली निवासी रमेश 12वीं तक पढ़े हैं जिनका परिवार मिट्टी के पारंपरिक बर्तन और मूर्तियां बनाता है. अब वो खादी ग्रामोद्योग से सहयोग लेकर खिलौने के संसार में अपना भविष्य तलाश रहें हैं. वहीं जिला खादी ग्रामोद्योग संघ ने उनके खिलौनों को अपने खादी भंडार के शोरूम और प्रदर्शनी के जरिए विदेशों तक पहुंचाने का भरोसा दिलाया है.
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'नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा खिलौना उद्योग'
चीन से आए कोरोना वायरस और पूर्वोत्तर सीमा पर चीन से विवाद के चलते देश भर में चीनी उत्पादों के बहिष्कार का देशव्यापी माहौल बन चुका है. एक-एक कर कई क्षेत्रों पर चीन को पटखनी देने के बाद मोदी सरकार देश के खिलौना बाजार को चीन मुक्त बनाने के लिए आगे बढ़ चुकी है. पीएम मोदी ने इसके लिए एक देशव्यापी अभियान की शुरुआत अपने “मन की बात” कार्यक्रम से की थी. यकीनन बिहार के रमेश का फैसला इस दिशा में आगे बढ़ने वाले शुरुआती कदमों में से एक है. उम्मीद है कि लकड़ी और मिट्टी के खिलौने बनाने वाले जो छोटे व्यापारी और कारीगर काम छोड़ चुके हैं वो पुराने उद्योग में वापस आएंगे और देश का उद्योग फिर से नई ऊंचाइयों को छुएगा.
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