पॉकेट साइज से लेकर पेपर बैक तक, संविधान के सभी वर्जन की डिमांड बढ़ रही है.
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नई दिल्ली: नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध प्रदर्शन से जहां एक तरफ काफी नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ इसका फायदा भी होता दिख रहा है. जब से सीएए और एनआरसी का विरोध हो रहा तब से भारत के संविधान की किताबों की बिक्री बढ़ गई है. कहा जा सकता है कि लोग संविधान के प्रति जागरुक हो रहे हैं. देश भर में जब से धारा 370 हटने, सीएए और एनआरसी का विरोध शुरू हुआ है, लोग सड़कों, गलियों और सार्वजनिक स्थानों पर कहीं धरना प्रदर्शन तो कहीं तोड़ फोड़ करते नजर आए. भारत के झंडे से लेकर राष्ट्रगान के साथ देश के संविधान को बचाने के नारे लगाए गए.
इस सब के बीच एक चीज जो सबसे ज्यादा देखी गई वो थी लोगों के हाथ में संविधान की किताब. बार-बार इसी किताब का हवाला देते हुए कहा गया कि संविधान खतरे में है. अब चाहें ये पड़ने के लिए हो या दिखाने के लिए अच्छी बात ये है कि लोग अब संविधान के प्रति जागरुक हो रहे हैं. ये हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से संविधान की कॉपी की ब्रिकी पहले के मुकाबले काफी बढ़ गई है.
पिछले कुछ महीनों से 'भारत का संविधान' की किताब की बिक्री इतनी बढ़ गई है कि प्रकाशन कंपनियों के पास इसका स्टॉक खत्म होता जा रहा है. किताबों की दुकानों पर ही नहीं ऑनलाइन भी संविधान की डिमांड बढ़ गई है. यही कारण है कि मशहूर कमर्शियल वेबसाइट Amazon पर भारत का संविधान constitutional law catagory में बेस्ट सेलर के रूप में बिक रही है. संविधान की प्रकाशन कंपनियों की माने तो पिछले 2 महीनों में इसकी सेल दोगुनी हो गई है.
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पॉकेट साइज से लेकर पेपर बैक तक, संविधान के सभी वर्जन की डिमांड बढ़ रही है. संविधान की किताब छापने वाली बुद्धम पब्लिशर्स के प्रकाशक का कहना है कि 2 महीने पहले तक जहां वो एक महीने में 1000 कॉपी बेचते थे वहीं अब 5000 बेच रहे हैं. पहले सिर्फ कानून के छात्र ही इस किताब को खरीदने आते थे लेकिन पिछले कुछ महीनों में जो देश में कुछ नए कानून आए हैं तब से हर वर्ग के लोग इसे खरीद रहे हैं.
संविधान की किताबों की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए, कई प्रकाशकों ने संविधान की ओरिजिनल कॉपी की तरह दिखने वाली कॉपी पब्लिश करना शुरू कर दी है. जिसमें Preamble की कैलीग्राफी से लेकर वो सब चल चित्र हैं जो मूल संविधान की किताब में होते हैं.