Sanskrit language village: पूर्वोत्तर भारत में देश की प्राचीन भाषा संस्कृत को दोबारा जीवित करने की अनूठी कोशिश हो रही है. वहां पर एक गांव ऐसा है, जहां छोटे बच्चे से लेकर बड़े तक सभी लोग संस्कृत भाषा में बात करते हैं.
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Assam Sanskrit Speaking Village: संस्कृत भारत की प्राचीनतम भाषा है. देश के अधिकतर ग्रंथ और पुराण संस्कृत (Assam) में ही लिखे गए हैं. प्राचीन काल में यह आमजन की भाषा थी लेकिन 800 साल की मुगलों और अंग्रेजों की गुलामी ने इस भाषा को समाप्त होने के दौर में पहुंचा दिया. अब नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद देश की इस महानतम भाषा के उत्थान की फिर कोशिश शुरू हो रही है. आज हम आपको पूर्वोत्तर भारत के एक ऐसे गांव के बारे में बताते हैं, जहां के लोगों ने संस्कृत को बचाने की मुहिम शुरू की है और अब गांव के सभी लोग इसी प्राचीन भाषा में बात करते हैं.
2015 से शुरू हुआ संस्कृत बोलने का सिलसिला
यह अनूठी पहल शुरू करने वाले गांव का नाम पटियाला है. यह असम (Assam) के करीमगंज जिले के राताबारी विधानसभा क्षेत्र में आता है. इस गांव में 60 परिवारों के करीब 300 लोग निवास करते हैं. वहां पर बच्चों से लेकर बड़ों तक संस्कृत भाषा (Sanskrit) में बात करते हैं. स्वभाव से खुशदिल इस गांव के लोग अपनी संस्कृत भाषा पर बहुत गर्व करते हैं. लेकिन यहां पर शुरू से संस्कृत नहीं बोली जाती थी. यह सिलसिला वर्ष 2015 में शुरू हुआ, जो अब पटियाला गांव से शुरू होकर आसपास के इलाकों में भी फैल रहा है.
9 साल से नियमित चल रहा योग शिविर
इस पहल को शुरू करने वाले गांव के योग शिक्षक दीप नाथ कहते हैं कि लोगों को फिट रखने और अपनी प्राचीन विद्या की ओर जोड़ने के लिए उन्होंने वर्ष 2013 में गांव में योग शिविर की शुरुआत की थी. शुरू में इस मुहिम में कम लोग जुड़े लेकिन बाद में सभी शामिल होते चले गए. वर्ष 2015 में संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं ने गांव का दौरा किया. उन्होंने ग्रामीणों के उत्साह को देखते हुए उन्हें अपनी प्राचीन भाषा संस्कृत (Sanskrit) से जुड़ने के लिए प्रेरित किया.
सभी लोग संस्कृत में करते हैं बातचीत
इसके बाद वर्ष 2015 से गांव के लोगों ने संस्कृत (Sanskrit) सीखना शुरू किया. इसके लिए जरिया योग शिविरों को बनाया गया. रोजाना सुबह 5 से 7 बजे तक होने वाले योग शिविर में सारी बातचीत और निर्देश संस्कृत भाषा में दिए जाते हैं. वहीं पर उन्हें संस्कृत भाषा की शब्दावली लिखना भी सिखाई गई. अब सभी लोग एक-दूसरे से संस्कृत में ही बात करते हैं. गांव में हर महीने गायत्री यज्ञ का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें गांव का हर निवासी भाग लेता है. इस गांव के 15 लोग नौकरी कर रहे हैं और बाकी लोग खेती से जुड़े हैं.
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