Trending Photos
नई दिल्ली: कुछ दिन पहले हमने आपको स्पेन (Spain) और ब्रिटेन (Britain) के उन स्कूलों की खबरें बताई थीं जो अपने यहां लैंगिक समानता (Gender Equality) को लेकर किए गए फैसलों को लेकर पूरी दुनिया की सुर्खियां बटोर रहे थे. कुछ ऐसा ही मामला दक्षिण भारतीय (South Indian) राज्य केरल (Kerala) में सामने आया है. यहां एर्नाकुलम (Ernakulam) जिले के वलयनचिरंगारा के सरकारी लोअर प्राइमरी स्कूल ने अपने सभी छात्रों को एक जैसी वर्दी पहनने की आजादी देकर लैंगिक तटस्थता का रास्ता दिखाया है.
स्कूल प्रशासन के इस फैसले की हर ओर तारीफ हो रही है. दरअसल अब यहां पढ़ने वाले बच्चे जेंडर न्यूट्रल यूनिफॉर्म पहनेंगे. इस फैसले के बारे में आपको और विस्तार से बताएं तो सबसे पहले ये आइडिया स्कूल की तत्कालीन प्रधानाध्यापिका को साल 2018 में आया था जिन्होंने ऐसी यूनिफॉर्म की पॉलिसी अपने सीनियर्स के सामने रखी थी, इस वर्दी में स्टूडेंट्स शर्ट और तीन-चौथाई पतलून पहनते हैं. इससे उन्हें किसी भी तरह की कोई गतिविध करने में परेशानी नहीं होती है और सभी बच्चे इससे बेहद खुश भी हैं.
ये भी पढ़ें- अब केवल गर्ल्स नहीं लड़के भी स्कूल में पहन सकेंगे स्कर्ट! यहां लिया गया फैसला
2018 में इस वर्दी को पेश करने वाले पूर्व प्रिंसपल सी राजी ने कहा, 'यह स्कूल अच्छी और व्यापक सोच रखता है. जब हम इस पॉलिसी को लागू करने की चर्चा कर रहे थे तो हमारे सामने लैंगिक समानता ही मुख्य विषय था. उसी दौरान इस तरह की यूनिफॉर्म का ख्याल आया. फिर मैंने सोचा कि इसके साथ क्या करना है, क्योंकि जब स्कर्ट की बात आती है तो लड़कियों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. बदलाव के इस आइडिये पर हमने सभी के साथ विस्तार से चर्चा की थी. तब करीब 90% पैरेंट्स ने इसका समर्थन किया था.'
ये भी पढ़ें- टूट गई चाय बेचकर 16 साल में 26 देश घूमने वाली ये जोड़ी, बड़े-बड़े सेलिब्रिटी रहे हैं मुरीद
आपको बताते चलें कि केरल का यह स्कूल 105 साल यानी सौ साल से ज्यादा पुराना है. पुराना होने के बावजूद यहां के किसी भी फैसले में अभी तक संकीर्णता नहीं देखने को मिली. पूर्व प्रिंसपल ने ये भी कहा कि छात्रों और अभिभावकों के मन में भी लैंगिक समानता होनी चाहिए. लड़कियों को स्कर्ट पहनने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शौचालय जाते समय और खेलते समय समस्या होती है. इसलिए किसी का कोई खास विरोध नहीं हुआ.
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल प्रबंधन समिति के पूर्व अध्यक्ष एनपी अजयकुमार ने कहा, 'हमारे मजबूत इरादों से इसे मान्यता मिलने में आसानी हुई. हालांकि यह फैसला 2018 में लिया गया था. इस वर्दी ने बच्चों को बहुत आश्वस्त किया. यह वर्दी कुछ भी करने में बहुत मददगार है, खासकर लड़कियों के लिए. वे और उनके माता-पिता इस फैसले से बहुत खुश हैं.
इस स्कूल की वर्तमान हेडमिस्ट्रेस और प्रभारी सुमा केपी ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'इस फैसले के पीछे की हमारी सोंच ये रही कि लड़के और लड़कियों को समान स्वतंत्रता और खुशी मिलनी चाहिए'. वहीं पैरेंट्स एंड टीचर्स एसोशिएशन के वर्तमान अध्यक्ष वी विवेक ने कहा कि उनके बच्चों ने साल 2018 में इस स्कूल में दाखिला लिया था. छात्र हो या छात्रा सभी को समानता की जरूरत है. यह एक ऐसी वर्दी यानी यूनिफॉर्म है जिसमें वे किसी भी गतिविधि के साथ खुद को असहज महसूस नहीं करेंगे.