कोरोना से ठीक हो रहे लोगों के इन अंगों पर पड़ रहा बुरा असर, स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
Advertisement
trendingNow1738941

कोरोना से ठीक हो रहे लोगों के इन अंगों पर पड़ रहा बुरा असर, स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा

कोरोना वायरस के इलाज के बाद 55 फीसद मरीजों में नर्वस सिस्टम की शिकायतें मिलीं हैं. जर्मनी में हुए एक अध्ययन में संक्रमण से बचने वाले 75 फीसद लोगों के दिल की संरचना में बदलाव दिखा.

प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ: मेडिसिनल केमेस्ट्री के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. राम शंकर उपाध्याय का मानना है कि कोरोना वायरस से ठीक हो रहे लोगों में से अधिकांश के दिल, फेफड़े और नर्वस सिस्टम पर संक्रमण का असर दिख रहा है. उन्होंने कहा कि संक्रमित लोगों के स्वस्थ्य होने के बाद भी शरीर के अंगों पर कोराना का प्रभाव दिखाई देना चिंता का विषय है. इसके बारे में भी सोचना होगा.

प्रो. उपाध्याय ने कहा कि दुनियाभर में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या करोड़ों में होने वाली है. उन्होंने बताया कि 'द लैंसेट' में हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के इलाज के बाद 55 फीसद मरीजों में नर्वस सिस्टम की शिकायतें मिलीं हैं. इसी तरह जर्मनी में हुए एक अध्ययन में संक्रमण से बचने वाले 75 फीसद लोगों के दिल की संरचना में बदलाव दिखा.

कोरोना के असर को कम करने पर फोकस
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि इसका संबंधित लोगों पर भविष्य में क्या असर होगा. इसका असर कैसे न्यूनतम किया जाए, इस पर भी फोकस करने की जरूरत है. साथ ही ये मानकर भी काम करना होगा कि कोविड-19 अंतिम नहीं है. आगे भी ऐसे हालात आ सकते हैं. तैयारियां इसके मद्देनजर भी होनी चाहिए.

कोरोना के बचाव और इलाज के बारे में पूछने पर मेडिसिनल केमेस्ट्री के वैज्ञानिक ने कहा कि इस रोग के लिए वैक्सीन और स्पेसिफिक दवा के लिए जो काम हो रहा है उसके अलावा जरूरत इस बात की है कि पहले से मौजूद फार्मूलेशन के कांबिनेशन से संक्रमण रोकने और संक्रमण होने पर कारगर दवा की तलाश को और तेज किया जाए. 

प्रो. उपाध्याय ने बताया कि अब तक कैंसर की करीब 15 दवा और दर्जन भर एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं कोविड के लक्षणों के इलाज में उपयोगी पाई गई हैं. इन पर और काम करने की जरूरत है.

मेडिसिन मैन्युफैक्चरिंग आत्म निर्भर बने भारत
भारत की दवा इंडस्ट्री के बारे में उन्होंने कहा कि जिन एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) से दवाएं बनती हैं, वो 75 से 80 फीसद तक चीन से आती हैं. कुछ तो 100 फीसदी. मैं चाहता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए ये एपीआई भारत में ही बनें.

VIDEO

उन्होंने कहा कि एपीआई की मात्रा भरपूर हो ताकि इनसे तैयार दवाओं के दाम भी वाजिब हों. चूंकि मैं उत्तर प्रदेश का हूं. लिहाजा ऐसा कुछ करने की पहली प्राथमिकता यूपी की ही रहेगी. इसके लिए प्रारंभिक स्तर पर सरकार से बातचीत भी जारी है.

उत्तर प्रदेश में आगरा के मूल निवासी प्रो. उपाध्याय लेक्साई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद के सीईओ और अमेरिका के ओम अंकोलॉजी के मुख्य वैज्ञानिक हैं. एक दशक से अधिक समय तक वो स्वीडन में स्टॉकहोम के उपशाला विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे. इसके अलावा वो मैक्स प्लैंक जर्मनी (बर्लिन) और मेडिसिनल रिसर्च कउंसिल ब्रिटेन (लंदन), रैनबैक्सी, ल्यूपिन जैसी नामचीन संस्थाओं में भी काम कर चुके हैं.

कई जरूरी दवाओं की खोज में प्रो. उपाध्याय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इनमें से करीब 20 पेटेंट हो चुकी हैं. अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके दो दर्जन से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं.

प्रो. उपाध्याय लेक्साई और सीएसआईआर से मिलकर कोविड की दवा खोजने पर भी काम कर रहे हैं. फिलहाल अमेरिका, यूरोप और स्कैंडिनेवियन देशों में कंपनी के विस्तार के लिए वो स्टॉकहोम में रह रहे हैं. वो अपने राज्य उत्तर प्रदेश के लिए भी कुछ करना चाहते हैं.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news