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जब बर्फ की सिल्लियां रख ठंडा किया जाता था कोच, 90 साल पहले दौड़ी थी देश की पहली AC ट्रेन

Indian Railway 1st AC Coach Train:  भारतीय रेलवे में जनरल से लेकर सुपरफास्ट ट्रेनें चलाता है.  लेकिन क्या आप जानते हैं कि रेलवे की पहली एसी ट्रेन कौन सी है ? पहली एसी ट्रेन कहां से कहां तक चली थी ? उस वक्त जब एसी नहीं था तो कोच को ठंडा कैसे किया जाता था ?  

India 1st AC Train

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 India 1st AC Train

India 1st AC Train: भारतीय रेलवे में जनरल से लेकर सुपरफास्ट ट्रेनें चलाता है. देश में वंदे भारत, राजधानी, शताब्दी ट्रेनें दौड़ रही है. बुलेट ट्रेन और हाइपरलूप ट्रेनों की तैयारियां चल रही है. ट्रेनों में टिकट किराए और सुविधाओं के हिसाह से अलग-अलग कोच होते हैं. जनरल कोच, स्लीपर कोच, थर्ड एसी, सेकेंड एसी और फर्स्ट एसी में सुविधाएं और किराया दोनों अलग होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रेलवे की पहली एसी ट्रेन कौन सी है ? पहली एसी ट्रेन कहां से कहां तक चली थी ? उस वक्त जब एसी नहीं था तो कोच को ठंडा कैसे किया जाता था ?  

देश की पहले एसी ट्रेन

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 देश की पहले एसी ट्रेन

 

 देश की पहली एसी ट्रेन अंग्रेजों के जमाने से आज तक दौड़ रही है. 91 साल से पटरियों पर दौड़ रही इस ट्रेन का नाम कई बार बदला. 1 सितंबर 1928 को जब यह ट्रेन पहली बार ये ट्रेन चली थी तो उसे पंजाब मेल (Punjab Mail) का नाम दिया गया. अंग्रेज अफसरो के लिए शुरू इस ट्रेन का नाम  साल 1934 में फिर से बदल दिया गया.  नाम के साथ-साथ ट्रेन में पहली बार एसी कोच जोड़ा गया.  

अंग्रेजों से जमाने से दौड़ रही ट्रेन

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 अंग्रेजों से जमाने से दौड़ रही ट्रेन

1934 में एची कोच जोड़ने के बाद इस ट्रेन का नाम बदलकर फ्रंटियर मेल कर दिया गया. उस वक्त भारत-पाकिस्तान का बंटवारा नहीं हुआ था, इसलिए यह ट्रेन मुंबई सेंट्रल से अमृतसर तक जाने के लिए पाकिस्तान के लाहौर और अफगानिस्तान से होते हुए गुजरती थी. इस लंबे सफर में लोगों फर्स्ट क्लास और सेकंड क्लास के यात्रियों को खाना भी दिया जाता था.  

 

कैसे कोच रखते थे ठंडा

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 कैसे कोच रखते थे ठंडा

 

​कोच ठंडा रखने के लिए उस वक्त बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था.  स्टेशन पर कोच के फर्श पर बर्फ की सिल्लियां बिछा दी जाती थी. इसके ऊपर पंखों को चलाया जाता था. बर्फ की वजह से कोच में ठंडक का अहसास होता था. बर्फ के पिघलने पर अगले स्टेशन पर फिर से बर्फ की सिल्लियां भर दी जाती थी. बर्फ के बक्से कहां रखे जाएंगे ये पहले से तय कर लिया जाता था. 

35 स्टेशनों पर रुकती थी ट्रेन

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 35 स्टेशनों पर रुकती थी ट्रेन

 

देस की पहली एसी ट्रेन में 1300 लोगों बिठाने की क्षमता था. ट्रेन में 24 कोच लगे थे. 1893 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह ट्रेन रास्ते में 35 स्टेशनों पर रुकती थी.  

गोल्‍डन टेंपल मेल

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  गोल्‍डन टेंपल मेल

 

 साल 1996 में इस ट्रेन का नाम फिर से बदलकर गोल्‍डन टेंपल मेल (Golden Temple Mail) कर दिया गया.  ये ट्रेन उस वक्त की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन थी. जिसकी वजह से लोग टेलीग्राम भेजने के लिए इसका इस्तेमाल कर लेते थे. ट्रेन के गार्ड के हाथों जरूरी संदेश पहुंचा दिया जाता था. हालांकि इस ट्रेन का इस्तेमाल अधिकांश तौर पर ब्रिटिश नागरिक ही करते थे.  

​पहली बार लेट हुई तो बैठ गई जांच

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 ​पहली बार  लेट हुई तो बैठ गई जांच

 

यह ट्रेन जब पहली बार लेट हुई को सरकार की ओर से लोकोपायलट को नोटिस भेज दिया गया, ट्रेन के लेट होने पर  जांच के आदेश दे दिए गए. आजादी के बाद यह ट्रेन मुंबई से अमृतसर के बीच चलती है .   

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