कांग्रेस की हालात जमींदारों जैसी, नहीं बचा पाए अपनी हवेली; NCP प्रमुख ने किया तंज
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कांग्रेस की हालात जमींदारों जैसी, नहीं बचा पाए अपनी हवेली; NCP प्रमुख ने किया तंज

कांग्रेस का प्रभाव पहले पूरे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक हुआ करता था, लेकिन अब उनका दबदबा खत्म हो चुका है इस बात को कांग्रेस को मान लेना चाहिए.

फाइल फोटो

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने कांग्रेस पार्टी (Indian National Congress) पर कटाक्ष करते हुए कहा कि महाराष्ट्र (Maharashtra) की गठबंधन सरकार में उनके साथी का अब देश में दबदबा खत्म हो गया है. पवार ने कहा कि कांग्रेस को इस सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि इससे अन्य विपक्षी दलों के साथ संबंध बनाने की संभावना बढ़ जाएगी.  

  1. NCP प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस को दिखाया आइना
  2. पहले कश्मीर से कन्याकुमारी तक थी कांग्रेस
  3. कांग्रेस की हालत जमीदार जैसी अपनी जमीन तक नहीं बचा पाए

पवार ने कहा कि एक समय था जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा है. इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए. एक बार कांग्रेस के भीतर जब इस बात को स्वीकार कर लिया जाएगा तो अन्य विपक्षी दलों के साथ उनकी निकटता बढ़ जाएगी.

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कांग्रेस अपने लीडरशिप पर अलग रुख अपनाने को नहीं है तैयार

पवार ने एक अलग नजरिए से पर विचार करने की अनिच्छा के लिए कांग्रेस पार्टी की भी आलोचना की. पवार ने कहा जब नेतृत्व की बात आती है, तो कांग्रेस में मेरे सहयोगी अलग नजरिया रखने के पक्ष में नहीं हैं. पवार ने बताया कि जब ममता बनर्जी को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एकजुट विपक्ष का चेहरा होने की बात सामने आती है, तो कांग्रेस के लोग कहते हैं कि उनके पास राहुल गांधी हैं. पवार ने चुटकी लेते हुए कहा कि सभी दल खासकर कांग्रेस के सहयोगी अपने लीडरशिप पर अलग रुख अपनाने को तैयार नहीं हैं.

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कांग्रेस की आलोचना करते हुआ सुनाया किस्सा

जब पवार से ये पूछा गया कि क्या ये सब अहंकार के कारण है? तो इस पर पवार ने जमींदारों का एक किस्सा सुनाया. जिसने अपनी जमीन खो दी थी और हवेली का रखरखाव भी नहीं कर पाया. पवार ने कहा, 'मैंने उत्तर प्रदेश के जमींदारों के बारे में एक कहानी सुनाई थी, जिनके पास काफी जमीन और बड़ी हवेलियां हुआ करती थीं. लैंड सीलिंग ऐक्ट के कारण उनकी जमीन कम हो गई. हवेलियां बनी रहीं लेकिन उनके रखरखाव व मरम्मत की क्षमता जमींदारों की नहीं रही. उनकी खेती से होने वाली आय भी पहले जैसी नहीं थी. कई हजार एकड़ से सिमटकर उनकी जमीन 15-20 एकड़ रह गई. जमींदार जब सुबह उठा, उसने आसपास के हरे-भरे खेतों को देखा और ये सारी जमीन कभी उसकी थी, लेकिन अब नहीं है.'

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस की तुलना बंजर गांव के पाटिल (प्रमुख) से की जा सकती है, पवार ने कहा कि वह यह तुलना नहीं करना चाहेंगे.

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