राजस्थान में हुई फोन टैपिंग से कई राज खुले लेकिन कुछ लोगों ने ऐसा बीड़ा उठाया हुआ है कि राहुल गांधी को काम करने ही नहीं देना है, इसका असर पूरे विपक्ष पर पड़ता है.
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मुंबई: शिवसेना (Shivsena) ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए राजस्थान सरकार गिराने में बीजेपी (BJP) की भूमिका और बीजेपी के केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर जमकर हमला बोला है. सामना में लिखा है कि राजस्थान की गहलोत सरकार को पैसे फेंक कर जोड़-तोड़ करके बहुमत खरीदने की योजना बनाई गई थी लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने उस झूठ का पर्दाफाश कर दिया. जिसे सचिन पायलट ने अन्याय के विरुद्ध बगावत की उपमा दी थी वो इसके लिए पायलट और बीजेपी नेताओं की फोन पर बातचीत को सामने लाए.
गहलोत सरकार गिराने के लिए केंद्रीय सत्ता का दबाव और पैसों का प्रयोग हुआ. कांग्रेस ने उसे नेस्तनाबूद कर दिया. अब बीजेपी का कहना है कि राजस्थान सरकार ने अनैतिक तरीके से फोन टैपिंग की. इस फोन टैपिंग की जांच अब केंद्रीय गृह विभाग करेगा और ऐसा आदेश भी मिलने की खबर हमने पढ़ी है. ये सही भी है केवल ऐसे नेताओं का ही नहीं बल्कि किसी की भी निजी बातचीत को चोरी से सुनना एक अपराध है, ये व्यक्तिगत आजादी पर हमला है.
ऐसे में केंद्रीय गृह विभाग इस संदर्भ में जांच करने वाला होगा तो इसमें क्या गलत है? सवाल सिर्फ इतना है कि गहलोत सरकार ने इस बातचीत को सुना होगा तो ऐसी कोई आपातकाल की स्थिति इस देश में या राज्य में बन गई थी क्या? राजस्थान में बहुमत की सरकार को गिराने की हलचल और इसके लिए विधायकों की ऊंचे दामों पर खरीद-फरोख्त शुरू थी. सचिन पायलट की बगावत के पीछे नैतिकता कम और पैसों की कामना ज्यादा थी. ये जनता और लोकतंत्र से विद्रोह है, भ्रष्टाचार है.
गहलोत सरकार ने सबूतों के आधार पर बीजेपी के एक नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ मामला दर्ज किया है. शेखावत पर गंभीर अपराधों के मामले में आरोप हैं लेकिन बीजेपी इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. फोन पर हुई बातचीत को सुनना और नजर रखना जितना अनैतिक है उतना ही सरकार गिराने के लिए विधायकों को खरीदना भी अनैतिक है.
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राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करने वालों से उनके केंद्रीय मंत्रियों का इस्तीफा क्यों नहीं लिया गया? पहले गजेंद्र शेखावत का इस्तीफा लो. विधायकों की खरीद-फरोख्त के अपराध का प्रायश्चित करवाओ, उसके बाद ही गहलोत सरकार की ओर उंगली दिखाओ.
राजस्थान के मामले में सामना ने राहुल गांधी का बचाव भी किया और बीजेपी को नैतिकता का पाठ भी पढ़ाया. सामना में लिखा है कि राजस्थान के मामले में बीजेपी की हालत कुछ यूं हो गई है कि ‘करना कुछ चाहते थे, हो गया कुछ और’ कांग्रेस और उनकी कार्यशैली पर फूल बरसाने की जरूरत नहीं है. उनकी पार्टी में अंतर्कलह या नए-पुराने विवाद खत्म होने वाले नहीं हैं. राहुल गांधी को किसी भी प्रकार से सफलता नहीं मिलने देना है, इसके लिए मानो इस तरह के विवादों को कुछ निश्चित लोगों द्वारा समय-समय पर उछाला जाता है.
कांग्रेस के हाथ से मध्य प्रदेश की सत्ता तो निकल गई फिलहाल राजस्थान बच गया. राजस्थान में हुई फोन टैपिंग से कई राज खुले लेकिन कांग्रेस के नेताओं की आपसी बातचीत अगर किसी ने चोरी-छिपे सुनी और वो राहुल गांधी तक पहुंचा दी तो कई सनसनीखेज खुलासे होंगे. कुछ लोगों ने ऐसा बीड़ा उठाया हुआ है कि राहुल गांधी को काम करने ही नहीं देना है, इसका असर पूरे विपक्ष पर पड़ता है. फोन टैपिंग अपराध और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर आघात है. लोकतांत्रिक तरीके से सत्तासीन हुई सरकार को धन-बल का सहारा लेकर गिरा देना असंवैधानिक है इसीलिए बड़ा अपराध कौन-सा है, ये तय करना चाहिए.