Sitamarhi News: बिहार में एक जगह है सीतामढ़ी. इसे सीता प्राकट्य स्थल के रूप में मान्यता मिली है. दूर-दूर से लोग माता सीता के दर्शन के लिए यहां आते हैं. अब नीतीश कुमार ने यहां के विकास की योजना बनाई तो बीजेपी को रास नहीं आई. इसकी वजह बड़ी दिलचस्प है.
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Nitish Kumar News: अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के उद्घाटन से ठीक एक महीने पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुछ ऐसा ऐलान किया, जिसने JDU और भाजपा में जुबानी जंग छेड़ दी. कुछ दिन पहले 13 दिसंबर को नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी में पुनौरा धाम के विकास के लिए 72 करोड़ की योजना सामने रखी. माता सीता के जन्म स्थान के रूप में इस धाम से हिंदुओं की आस्था जुड़ी है. सीएम ने कहा कि नवीनीकरण का कार्य तेजी से पूरा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सीताकुंड को विकसित किया जाए और ज्यादा से ज्यादा भक्तों को आकर्षित करने के लिए आसपास के क्षेत्र के सौंदर्यीकरण पर भी ध्यान दिया जाए. इस समय भाजपा और संघ परिवार की ओर से अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन की काफी चर्चा की जा रही है. विधानसभा चुनावों में भी इसका जिक्र हुआ. अब बिहार सरकार के इस फैसले ने JDU की पूर्व सहयोगी भाजपा को शायद असहज कर दिया है.
नीतीश सरकार का प्लान क्या है?
गौर करने वाली बात यह है कि रामायण सर्किट पर केंद्र की 15 पर्यटन-धार्मिक स्थलों की सूची में शामिल होने के बाद भी सीतामढ़ी के लिए बिहार सरकार ने प्लान बना लिया. जी हां, यह केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के तहत विकास के लिए पहचाने गए 15 सर्किटों में से एक है. योजना के तहत प्रोजेक्टों की पहचान राज्य सरकारों या केंद्रशासित प्रदेशों से विचार-विमर्श के बाद की गई है.
राज्य सरकार के प्लान में छत और बलुआ पत्थर के पिलरों के साथ एक परिक्रमा पथ तैयार करना शामिल है. एक कैफेटेरिया, पार्किंग स्थल के अलावा सीता वाटिका, लव-कुश वाटिका और एक शांति मंडप (ध्यान के लिए क्षेत्र) की भी योजना बनाई गई है. सीता माता के जीवन को दर्शाने वाली 3-डी एनिमेशन फिल्म की भी तैयारी है. प्लान के तहत राज्य का पर्यटन विभाग भगवान राम और माता सीता से जुड़े कम से कम एक दर्जन स्थलों के पुनर्विकास के लिए काम कर रहा है.
विवाद की वजह क्या है?
भाजपा का आरोप है कि JDU इस पहल से मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों को धोना चाहती है और लोकसभा चुनाव से पहले 'सॉफ्ट हिंदुत्व' का सहारा ले रही है. वहीं नीतीश की पार्टी का दावा है कि भाजपा केवल राम मंदिर के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है जबकि माता सीता से जुड़े दूसरे स्थानों की अनदेखी की जा रही है. JDU एमएलसी नीरज कुमार ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि सीएम ने हमेशा कहा है कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा, 'चाहे कब्रिस्तान हों या किसी के भी धार्मिक स्थल, हमारी सरकार ऐसे सभी स्थलों के विकास के लिए काम कर रही है.'
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या पुनर्विकास योजना अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को देखते हुए शुरू की गई? कुमार ने कहा कि सीता माता से संबंधित स्थल बिहार की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण भी हैं। उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार को राम मंदिर के विकास पर 3,000 करोड़ रुपये खर्च करने के साथ-साथ सीता माता से संबंधित स्थलों को भी विकसित करना चाहिए था. हम अपना काम कर रहे... इसमें कोई राजनीति नहीं है... हमारे देवताओं पर कोई कॉपीराइट नहीं है.
उधर, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष पाठक ने JDU के इस कदम को सॉफ्ट हिंदुत्व बताया. उन्होंने कहा कि लोग अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का इंतजार कर रहे हैं... जेडीयू जो प्रयास कर रही है वह सॉफ्ट हिंदुत्व है जबकि वह अपने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए जानी जाती है. गौरतलब है कि बिहार में हिंदुत्व के एजेंडे का भाजपा को ज्यादा फायदा नहीं मिला है. 2015 के चुनाव में मोदी लहर के बाद भी 243 में से 91 सीटें ही मिलीं थीं. इससे पहले 1995 में भाजपा को 324 में से केवल 41 सीटों पर जीत मिली थी. भाजपा ने जब भी अकेले चुनाव लड़ा है उसे फायदा कम हुआ.
तब राहुल ने कहा 'जय सिया राम'
वैसे जेडीयू अकेली नहीं है. विपक्ष के कई नेता बीजेपी के हिंदुत्व को काउंटर करने के लिए सीता माता का जिक्र करते रहे हैं. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हरियाणा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था, 'ये (आरएसएस) जय सिया राम कभी नहीं कहते. इन्होंने सीता जी को नारे से निकाल दिया, उठाकर बाहर फेंक दिया. हमारे इतिहास के खिलाफ काम किया इन्होंने.' राहुल ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि जब आप किसी आरएसएस वर्कर से मिलें तो उनसे जय सियाराम कहने के लिए कहें क्योंकि जितने जरूरी राम थे, उतनी ही जरूरी सीता जी थीं.