दिल्ली में लगे स्मॉग टावर प्रदूषित हवा को साफ करने में नाकाम, CSE का बड़ा दावा
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दिल्ली में लगे स्मॉग टावर प्रदूषित हवा को साफ करने में नाकाम, CSE का बड़ा दावा

CSE के मुताबिक दिल्ली में लगे दोनों स्मॉग टावर (Smog Towers) 80 मीटर दूर की प्रदूषित हवा को भी साफ नहीं कर पा रहे हैं. दावे के मुताबिक टावर्स को 1 किलोमीटर तक की हवा को साफ करना था.

दिल्ली में प्रदूषण का कहर

नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण (Pollution) कम करने के लिए पिछले साल 2 स्मॉग टॉवर की शुरुआत हुई थी. एक दिल्ली सरकार और एक केंद्र सरकार ने लगाया था. अब CSE का कहना है कि करोड़ों खर्च कर लगाए गए इन स्मॉग टावर्स को अपने इलाके के 1 किलोमीटर एरिया को प्रदूषित हवा से साफ हवा में तब्दील करना था. लेकिन ये टावर 80 मीटर के एरिया को भी साफ नहीं कर पा रहे हैं.

  1. दिल्ली की प्रदूषित हवा बनी चिंता
  2. स्मॉग टावर नहीं कर पा रहे साफ
  3. CSE ने सामने रखे आंकड़े

2021 में इंस्टॉल किए थे स्मॉग टावर

दिल्ली के लोगों को प्रदूषण से बचाने के लिए पिछले साल 2021 में स्मॉग टावर को दिल्ली के दो अलग-अलग इलाकों में इंस्टॉल किया था. लेकिन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (Center for Science and Environment) ने दावा किया है कि इन दोनों ही स्मॉग टावर से 1 किलोमीटर के एरिया तो छोड़िए, बल्कि 80 मीटर की दूरी का प्रदूषण भी दूर नहीं हो रहा है. CSE के पॉल्यूशन कंट्रोल यूनिट के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर विवेक चटोपाध्याय ने ज़ी न्यूज़ को बताया कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

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प्रदूषण से राहत देने के लिए किए थे इंस्टॉल

दरअसल प्रदूषण से निपटने के लिए पिछले साल 23 अगस्त को दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने राजधानी के कनॉट प्लेस इलाके में देश के पहले स्मॉग टावर को इंस्टॉल किया था. इसी कड़ी में 7 सितंबर को केंद्र सरकार (Central Government) ने भी दिल्ली के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के पास देश का दूसरा स्मॉग टावर इंस्टॉल किया था ताकि आने वाले महीनों में प्रदूषण से होने वाली समस्याओं से लोगों को कुछ हद तक राहत मिल सके. लेकिन फिलहाल इन दोनों स्मॉग टावर की शुरुआत हुए 6 से 7 महीने बीत चुके हैं, इसी पर CSE ने दावा किया है कि ये टावर्स अपने स्टेशन के आसपास 80 मीटर की प्रदूषित हवा को भी साफ नहीं कर पा रहे हैं.

10 लाख रुपए का होता है खर्चा 

देश की राजधानी दिल्ली लंबे समय से दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है. इसके कारणों में ऑटोमोबाइल और पावर प्लांट्स के एमिशन्स, इनडोर पॉल्यूशन और सर्दियों में हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसानों द्वारा पराली को जलाना आदि शामिल हैं. ऐसे में हर साल केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए हर संभव प्रयास करती है लेकिन फिर भी कई लोगों को प्रदूषण से होने वाली समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

इस पर CSE ने चिंता जताते हुए कहा है कि दोनों टावर्स को बनाने में 40 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं और हर महीने इनके रख-रखाव पर 10-10 लाख रुपए का खर्च आता है. इतने खर्च के बाद भी अगर ये टावर दिल्ली की प्रदूषित हवा (Polluted Air) को साफ नहीं कर पा रहे हैं, तो फिर इन्हें लगाने का कोई मतलब नहीं है.

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पहली रिपोर्ट जून 2022 में की जाएगी पेश

दिल्ली में लगे स्मॉग टावर के द्वारा हवा को साफ करने के लिए इस टावर के 1 किलोमीटर के दायरे में हर 100 मीटर पर सेंसर (Sensor) लगाए गए हैं, जो ये चेक कर अपनी पहली रिपोर्ट जून 2022 में देंगे कि आखिर अगस्त 2021 से जून 2022 तक कितने एरिया को इस टावर ने प्रदूषण से मुक्त किया. हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से आनंद विहार में लगाए गए टावर की रिपोर्ट भी CPCB जुलाई में पेश कर सकता है, जिससे ये साफ हो जाएगा कि ये टावर प्रदूषण दूर करने में कितने कारगर हैं.

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