यूक्रेन में डॉक्टर बनने क्यों जाते हैं भारतीय छात्र? जानिए इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण
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यूक्रेन में डॉक्टर बनने क्यों जाते हैं भारतीय छात्र? जानिए इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण

दरअसल भारत में मेडिकल की पढ़ाई करना मुश्किल भी है और काफी महंगा भी. हमारे देश में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए छात्रों को NEET की परीक्षा देनी होती है. 

यूक्रेन में डॉक्टर बनने क्यों जाते हैं भारतीय छात्र? जानिए इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण

नई दिल्ली: यूक्रेन में फंसे भारत के ज्यादातर छात्र वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. इसलिए कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि यूक्रेन में ऐसा क्या है कि वहां इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने जाते हैं? आइए आपको समझाते हैं इसका कारण. 

  1. इसलिए विदेश का विकल्प चुनते हैं भारतीय मेडीकल स्टूडेंट
  2. NEET पास करने के बाद भी तमाम मुश्किलें
  3. यूक्रेन में कम फीस में होती है मेडीकल की पढ़ाई
  4.  

भारत में मेडीकल की पढ़ाई आसान कहां...

दरअसल भारत में मेडिकल की पढ़ाई करना मुश्किल भी है और काफी महंगा भी. हमारे देश में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए छात्रों को NEET की परीक्षा देनी होती है. हर साल औसतन 15 लाख छात्र NEET की परीक्षा देते हैं, जिनमें से लगभग 7.5 लाख छात्र ही इसमें पास हो पाते हैं. यानी Passing Percentage 50% के आसपास होता है. इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि हर साल साढ़े सात लाख छात्र NEET की परीक्षा में फेल हो जाते हैं और उन्हें मेडिकल कॉलेजों में Admission नहीं मिल पाता.

पास करने के बाद भी तमाम मुश्किलें

जो छात्र इस परीक्षा में पास हो जाते हैं, उनकी मुश्किलें भी कम नहीं होती. हमारे देश के सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में कुल मिला कर 1 लाख 10 हजार ही सीट्स मौजूद हैं. यानी NEET की परीक्षा में पास तो 7 लाख छात्र होते हैं लेकिन दाखिला केवल 1 लाख 10 हजार बच्चों को ही मिलता है और इस तरह लगभग 14 लाख छात्र मेडिकल कॉलेजों में दाखिला ही नहीं ले पाते. अब सोचिए, ये छात्र जाएंगे कहां, क्योंकि इन्हें तो मेडिकल की पढ़ाई करनी है. इसलिए ये यूक्रेन जैसे देशों का रुख करते हैं. हालांकि इसके पीछे फीस भी एक बड़ी वजह है.

यूक्रेन में कम फीस में होती है मेडीकल की पढ़ाई

भारत के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में MBBS की पढ़ाई का 1 साल का खर्च 3 लाख रुपये है. जबकि प्राइवेट कॉलेजों में 1 साल का यही खर्च औसतन 20 लाख रुपये है. ऊपर से प्राइवेट कॉलेजों में छात्रों के माता-पिता को Donations भी देनी पड़ती है, जो लाखों रुपये में होती है. कुल मिला कर देखें तो भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में MBBS की 5 साल की पढ़ाई का खर्च 1 करोड़ रुपये है. जबकि यूक्रेन में यही खर्च सिर्फ 35 लाख रुपये है. इसका मतलब ये है कि भारत में मेडिकल की पढ़ाई करना मुश्किल भी है और महंगा भी. जबकि यूक्रेन में हमारे देश के छात्र कम खर्च में MBBS और मेडिकल की दूसरी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं.

FMGE का टेस्ट करना होता है पास

पढ़ाई पूरे करने के बाद उनके लिए भारत आकर Practice करना भी ज्यादा मुश्किल नहीं होता. इसके लिए उन्हें एक परीक्षा देनी होती है, जिसे Foreign Medical Graduates Examination यानी FMGE कहते हैं. इस परीक्षा को पास करने के बाद यूक्रेन में पढ़ने वाले भारतीय छात्र, भारत में आसानी से काम कर पाते हैं.

मानवता करता नया खून

रिपोर्ट्स से पता चला है कि यूक्रेन में फंसे बहुत सारे छात्र वहीं रुक कर युद्ध में घायल हुए लोगों की मदद कर रहे हैं और उनका इलाज कर रहे हैं. जो युवा होते हैं, उनके विचारों में क्रान्ति और बदलाव लाने का जज्बा होता है. जब ये युवा डॉक्टर हों तो वो मानवता की सेवा भी करते हैं और भारत के बहुत सारे छात्र यूक्रेन में ऐसा ही कर रहे हैं. इसलिए हमें लगता है कि युद्ध की इस घड़ी में आपको उम्मीद और हिम्मत नहीं छोड़नी चाहिए.

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