50 आईआईटीयन ने नौकरी छोड़ बनाई BAP, दलितों के लिए करेंगे संघर्ष
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50 आईआईटीयन ने नौकरी छोड़ बनाई BAP, दलितों के लिए करेंगे संघर्ष

बहुजन आजाद पार्टी 50 लोगों का एक समूह है. सभी अलग-अलग आईआईटी से हैं, और सभी ने अपनी पूर्णकालिक नौकरियां छोड़ी हैं.

बहुजन आजाद पार्टी का गठन आईआईटी के पूर्व छात्रों ने किया है

नई दिल्ली : राजनीति अब केवल समाजसेवा के साथ-साथ एक अच्छा करियर बनकर भी उभर रही है. पिछले कुछ सालों में ब्यूरोक्रेट्स और अन्य पदों पर तैनात लोग द्वारा अच्छी खासी नौकरी छोड़कर राजनीति में सफलता के झंडे गाड़े हैं, इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम सबसे आगे हैं. अब प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के 50 पूर्व छात्रों ने एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए अपनी नौकरियां छोड़कर एक राजनीतिक पार्टी बनाई है. 

  1. बिहार चुनावों से होगी राजनीतिक सफर की शुरूआत
  2. पार्टी की मंजूरी के लिए चुनाव आयोग में अर्जी डाली
  3. 50 आईआईटीयन ने छोड़ी नौकरी और बनाई पार्टी

चुनाव आयोग की मंजूरी का इंतजार कर रहे इस समूह ने अपने राजनीतिक संगठन का नाम ‘बहुजन आजाद पार्टी’ (BAP) रखा है. इस समूह के नेतृत्वकर्ता और वर्ष 2015 में आईआईटी (दिल्ली) से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके नवीन कुमार ने बताया कि उनका 50 लोगों का एक समूह है. सभी अलग-अलग आईआईटी से हैं. और इन सभी ने पार्टी के लिए काम करने की खातिर अपनी पूर्णकालिक नौकरियां छोड़ी हैं. नवीन ने बताया कि हमने मंजूरी के लिए चुनाव आयोग में अर्जी डाली है और इस बीच जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं.

नवीन ने बताया कि वे आनन-फानन में चुनावी मैदान में नहीं कूदना चाहते. उनका मकसद 2019 के लोकसभा चुनाव लड़ना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम जल्दबाजी में कोई काम नहीं करना चाहते और हम बड़ी महत्वाकांक्षा वाला छोटा संगठन बनकर रह जाना नहीं चाहते. हम 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से शुरुआत करेंगे और फिर अगले लोकसभा चुनाव का लक्ष्य तय करेंगे.’ 

इस संगठन में मुख्यत: एससी, एसटी और ओबीसी तबके के सदस्य हैं जिनका मानना है कि पिछड़े वर्गों को शिक्षा एवं रोजगार के मामले में उनका वाजिब हक नहीं मिला है. पार्टी ने भीमराव आंबेडकर, सुभाष चंद्र बोस और एपीजे अब्दुल कलाम सहित कई अन्य नेताओं की तस्वीरें लगाकर सोशल मीडिया पर प्रचार शुरू कर दिया है.

नवीन ने बताया कि एक बार पंजीकरण करा लेने के बाद हम पार्टी की छोटी इकाइयां बनाएंगे जो हमारे लक्षित समूहों के लिए जमीनी स्तर पर काम करना शुरू करेगी. हम खुद को किसी राजनीतिक पार्टी या विचारधारा की प्रतिद्वंद्वी के तौर पर पेश नहीं करना चाहते.

(इनपुट भाषा से)

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