कृत्रिम बारीश के लिए उपयोग में लाए जानेवाला सी -90 विमान अभी तक देश में ही दाखिल हुआ नही है .
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औरंगाबाद: मराठवाड़ा के औरंगाबाद के कृत्रिम बारीश के प्रयोग पर ही सवाल उठने लगे है. औरंगाबाद के कृत्रिम बारिश के नोडल अधिकारी सतिश खडके के मुताबिक 8 अगस्त को कृत्रिम बारीश का प्रयोग हुआ ही नही. यहां तक की कृत्रिम बारीश के लिए उपयोग में लाए जानेवाला सी -90 विमान अभी तक औरंगाबाद छोड़िए , देश में ही दाखिल हुआ नही है .
मतलब स्पष्ट है प्रशासन से झूठ बोला है. कृत्रिम बारीश के लिए आवश्यक सी-90 विमान औरंगाबाद पहुंचा ही नही है. अमरिका से निकला सी-90 विमान सउदी अरेबिया में रुका है . इस विमान के औरंगाबाद पहुंचने में एक हफता भी लग सकता है.
सी-90 विमान पहुंचने में देरी के चलते हि प्रशासन ने एक और विमान बुलाया गया लेकिन यह विमान सिर्फ दो दिन ही औरंगाबाद में रुका था . दो दिन बाद वापस उसे सोलापुर भेज दिया गया. सोलापुर से यहां पहुंचे इस विमान ने कृत्रिम बारिश के प्रयोग के लिए सिर्फ एक बार उड़ान भरी थी, लेकिन सफलता नही मिली .
इस प्रयोग के लिए जिस प्रोजेक्ट प्रमुख की नियुक्ती की गई थी . उस प्रोजेक्ट प्रमुख को नियुक्ती का पत्र भी नही दिया गया . अब वह प्रोजेक्ट प्रमुख भी अपने घर लौट गया है.
महाराष्ट्र सरकार ने कृत्रिम बारीश के लिए केसीएमसी कंपनी को कॉन्ट्रॅक्ट दिया है . उस कंपनी का विमान अमरिका से सउदी अरेबिया पहुंचा है . विमान की टेक्निकल खामियों को दूर किया जा रहा है , 17 अगस्त को यह विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचेगा.
कृत्रिम बारिश के नोडल अधिकारी सतिश खडके ने बताया की , कृत्रिम बारीश करनेवाला विमान अभी तक औरंगाबाद पहुंचा नही , अभी यह विमान सउदी अरबिया में है . पहले यह विमान अहमदबाद आएगा फिर 17 अगस्त को औरंगाबाद मे पहुंचेगा . बीच समय में हम सोलापुर के विमान का इस्तमाल कर रहे है ,
महाराष्ट्र के जलआपूर्ती मंत्री बनराव लोणीकर ने बताया की कृत्रिम बारीश के लिए विमान 17 अगस्त को भारत पहुंचेगा. लेकिन तब तक कृत्रिम बारिश के लिए हम सोलापुर से बुलाए गए विमान का इस्तमाल कर सकते है . हालांकि सोलापुर से लाए गए विमान से कृत्रिम बारिश के लिए उपयुक्त नहीं है , इस पर हमने महाराष्ट्र की कैबिनेट मिटिंग में चर्चा की थी .
कृत्रिम बारिश पर औरंगाबाद के निवासी संदीप कुलकर्णी का कहना है की जनता के साथ यह धोखा है, अगर कृत्रिम बारीश करनेवाला विमान पहुंचा ही नही तो उद्घाटन की नौटंकी क्यों की गई. मराठवाड़ा में सूखा है ऐसे में यह हमारा मजाक उड़ाने जैसा काम इन्होंने किया है.