पंचायतों पर लागू किए गए राईट टू रिकॉल (Right To Recall) विधेयक पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) ने कहा कि इस कानून को पहले विधानसभा और लोकसभा में लागू करना चाहिए. उसके बाद ही इसे निचले स्तर पर ले जाना चाहिए.
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चंडीगढ़ : हरियाणा (Haryana) के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) ने विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही में कृषि कानूनों (Agriculture Law) पर कांग्रेस पार्टी के अमेंडमेंट्स को स्वीकार नही किया गया. कांग्रेस की ओर से कृषि बिलों को लेकर की गई वोटिंग की मांग भी स्वीकार नहीं की गई.और आवाज उठाने पर कांग्रेस के विधायकों को सदन से बाहर कर दिया गया.
'राईट टू रिकॉल'
पंचायतों पर लागू किए गए राईट टू रिकॉल (Right To Recall) विधेयक पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) ने कहा कि इस कानून को पहले विधानसभा और लोकसभा में लागू करना चाहिए. उसके बाद ही इसे निचले स्तर पर ले जाना चाहिए.
कृषि कानूनों पर निशाना
हुड्डा ने कहा कि बिना एमएसपी के 3 कानूनों से किसानों की बर्बादी तय है. इनसे धीरे-धीरे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी. इतना ही नहीं इनका सबसे ज्यादा असर सरकारी डिपो से राशन लेने वाले गरीब तबके पर पड़ेगा. जिस तरह से सरकारी एजेंसियां फसलों की खरीद से हाथ खींच रही हैं, उससे साफ है कि आने वाले वक्त में नए कानूनों का सीधा असर पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) पर पड़ने वाला है.
पंचायती राज प्रकिया में सुधार
गौरतलब है कि हरियाणा में ग्राम पंचायतों के लिए ‘राइट टू रीकॉल’ विधेयक भी पटल पर रखा गया था. विधेयक के लागू होने के बाद अब काम ना करने वाले सरपंचों, ब्लाक समिति सदस्यों व जिला परिषद सदस्यों को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटाने का अधिकार ग्रामीणों को मिल गया है.
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