क्‍या राजस्‍थान की कांग्रेस सरकार पर वाकई फिर से मंडरा रहा खतरा?
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क्‍या राजस्‍थान की कांग्रेस सरकार पर वाकई फिर से मंडरा रहा खतरा?

पार्टी सूत्रों का कहना है कि गहलोत कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को पायलट के दुस्साहस के बारे में याद दिला रहे हैं, जिन्‍होंने कुछ महीने पहले बगावत की थी.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा है कि बीजेपी एक बार फिर से राज्य की कांग्रेस सरकार (Congress Government) को गिराने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार पर खतरा मंडरा रहा है क्योंकि पार्टी के कुछ नेताओं में विद्रोह फिर से भड़क रहा है. भले ही बीजेपी ने गहलोत के इस आरोप को खारिज कर दिया है, लेकिन इस साल जुलाई में तत्कालीन उप मुख्‍यमंत्री और तब के राजस्थान कांग्रेस इकाई के प्रमुख सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के एक वर्ग द्वारा विद्रोह के बाद चीजें ठीक नहीं दिख रही हैं. सचिन पायलट उसके बाद से लो प्रोफाइल मेनटेन किए हुए हैं.

गहलोत को दिल्‍ली भेजने की तैयारी 
पार्टी सूत्रों का कहना है कि गहलोत कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को पायलट के दुस्साहस के बारे में याद दिला रहे हैं, जिन्‍होंने कुछ महीने पहले बगावत की थी. वो ये भी कह रहे हैं कि राज्य सरकार उनके हाथों में ही सुरक्षित है, क्योंकि ऐसी चर्चा है कि अहमद पटेल के निधन के बाद गहलोत को दिल्ली शिफ्ट किया जा सकता है ताकि कांग्रेस के पुराने और नए नेताओं में सामंजस्य बिठाया जा सके.

दूसरी ओर, पार्टी ने दावा किया है कि महाराष्ट्र में महागठबंधन सरकार सुरक्षित है क्योंकि गठबंधन ने हाल ही में विधान परिषद चुनावों में बीजेपी को हराया है, हालांकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार की राहुल गांधी के बारे में टिप्पणी कांग्रेस को भा नहीं रही है.

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पवार ने एक साक्षात्कार में कहा था कि राहुल गांधी में कंसिस्टेंसी (निरंतरता) की कमी है, जिसके बाद कांग्रेस ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां सराहने लायक नहीं है.

बता दें कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार ने कामकाज का एक साल पूरा कर लिया है और मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि वो 5 साल तक सत्ता में रहेंगे. वहीं पवार ने यह भी कहा है कि MVA सरकार न केवल पूरे पांच साल चलेगी, बल्कि अगले 25 वर्षों के शासन की नींव रखेगी.

हालांकि, कांग्रेस को एक चौकस नजर रखनी होगी क्योंकि वह जुलाई 2019 से अपने विधायकों के एक वर्ग द्वारा विद्रोह के कारण मध्य प्रदेश और कर्नाटक में सत्ता खो चुकी है.

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