पंडित दीनदयाल की जयंती पर जयपुर का धानक्या गांव बीजेपी और आरएसएस के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में उभरता हुआ दिख रहा है. इसका कारण है धानक्या में बना पंडित दीनदयाल उपाध्याय का राष्ट्रीय स्मारक.
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जयपुर: राजस्थान के सभी इलाकों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाई जा रही है. पंडित दीनदयाल की जयंती पर जयपुर का धानक्या गांव बीजेपी और आरएसएस के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में उभरता हुआ दिख रहा है. इसका कारण है धानक्या में बना पंडित दीनदयाल उपाध्याय का राष्ट्रीय स्मारक. इस स्मारक की अहमियत इसलिए भी हैं क्योंकि यह स्मारक पंडित दीनदयाल के बचपन की यादों से जुड़ा हुआ है.
बता दें कि, पिछले कुछ वर्षों में जयपुर के धानक्या गांव की फिजा बदल गई है. अब राष्ट्रीय पटल पर लोग धानक्या को पहचानने लगे हैं और इसका श्रेय जाता है पंडित दीनदयाल उपाध्याय को. पंडित जी को दुनिया से अलविदा कहे तो काफी समय हो गया लेकिन उनके व्यक्तित्व और कृतित्व ने उनके जाने के बाद भी धानक्या को विशेष पहचान दिलाई है.
25 सितंबर 1916 को मथुरा में जन्में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का बचपन धानक्या रेलवे स्टेशन पर बने सरकारी क्वार्टर में बीता था. पंडित जी के नाना चुन्नीलाल शुक्ल यहां स्टेशन मास्टर थे और पिता के अल्पायु में ही पिता के निधन के बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय अपने नाना के साथ रहने लगे थे. पंडित दीनदयाल उपाध्याय से जुड़ी यादों के कारण ही बीजेपी ने इस जगह को उनका राष्ट्रीय स्मारक बनाने के लिए चुना और धानक्या गांव में बना यह स्मारक अब बीजेपी के लिए लगातार एक आस्था स्थल के रूप में विकसित होता जा रहा है.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का यह राष्ट्रीय स्मारक आज भले ही अपने भव्य रूप में दिखता हो, लेकिन इसके लिए राह इतनी आसान नहीं थी. बीजेपी नेता और धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे ओंकार सिंह लखावत बताते हैं कि इसके लिए काफी जतन किये गए. रेलवे से स्मारक बनाने के लिए यह क्वार्टर अलॉट कराए गए तो बदले में रेलवे को डेढ़ करोड़ से ज़्यादा का भुगतान भी किया गया.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के परिजन भी इस स्मारक के लिए लगातार प्रयत्नशील रहे. पंडित जी की भतीजी और बीजेपी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष मधु शर्मा कहती हैं कि वह वर्ष 1993 से लगातार इसके लिए कोशिश करती रही. उनकी मंशा थी कि धानक्या के इन रेलवे क्वार्टर्स में दीनदयाल उपाध्याय की यादों को संजोने का कोई काम किया जाए. ओंकार सिंह लखावत और पिछली बीजेपी सरकार का आभार जताते हुए मधु शर्मा कहती हैं कि यह स्मारक उनके परिवार के लिए तो अहमियत रखता ही है, साथ ही आरएसएस, बीजेपी और एकात्म मानववाद के चिंतन से जुड़े लोगों के लिए भी इसकी बड़ी अहमियत है.