कोटा बैराज के तीन दिन से खोल रखे गेटों के कारण आई बाढ़ के कारण कई लोगों के अरमान पानी में डूब गए और लोग बेघर हो गए.
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मुकेश सोनी/कोटा: चम्बल में आया पानी का जलजला कई लोगों के घर उजाड़ गया. लोगों को अब चिंता सता रही है कि अब कैसे दोबारा सपना का आशियाना खड़ा करेंगे. सैकड़ों परिवार चम्बल में पानी के प्रलय के साथ ही चिंताओं में डूब गए और बेघर हो गए. कोटा बैराज के तीन दिन से खोल रखे गेटों के कारण आई बाढ़ के कारण कई लोगों के अरमान पानी में डूब गए. लोग बेघर हो गए और सड़कों पर आ गए. फिलहाल कई लोग आश्रय स्थल,सामुदायिक भवन व स्कूल में रहने को मजबूर है.
बदन पर सिर्फ कपड़े बचे हैं
कोटा में बाढ़ से बने हालात के बाद सुरक्षित स्थान पर लोगों को पहुंचाया जा रहा है. कुन्हाड़ी इलाके में स्थित आश्रय स्थल पर रह रहे हनुमानगढ़ी निवासी किशना सुमन ने बताया कि चम्बल किनारे करीब सात साल पहले 2 लाख रुपए का कर्जा लेकर मकान खरीदा था. अचानक कोटा बैराज के गेट खुले तो पानी का सैलाब आया और मकान में रखा सब सामान बहा ले गया. मकान का कुछ अता-पता नहीं है. बदन पर सिर्फ कपड़े ही बचे है. उनकी चार बेटियां है. सब बेघर हो गए.
कर्ज कैसे चुकाऊंगा!
हरिशंकर ने चंबल का रौद्र रूप आंखों से देखा तो अपनी पीड़ा बयां करते वक्त आंखों में पानी भर आया. हरिशंकर ने बताया कि मजदूरी करके परिवार का पेट पाल रहा हूं. यहां-वहां से कर्जा लेकर दो कमरे बनाए थे. यह सोचा भी नहीं था कि जल प्रलय से कर्ज का पैसा इस तरह से डूब जाएगा. अब मैं कैसे कर्जा चुका पाऊंगा और कैसे नया घर बनाऊंगा. बेटी बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती थी. यहां आकर देखा तो सब कुछ बह गया.
किताबें बह गई, कैसे करेंगे पढ़ाई?
यह तो सिर्फ हरिशंकर और किशना सुमन की कहानी है. हनुमानगढ़ी निवासी पूजा, दीपक उनके भाई-बहनों ने बताया कि उनकी सारी किताबें बह गई है. साथ में बैग भी बह गया. अब स्कूल कैसे जाएंगे और पढ़ाई कैसे करेंगे. इन बच्चों को चिंता सता रही है.
जल के जलजले ने रोड पर ला दिया
बूंदी सिलिका के पीछे रहने वाले दयाराम ने बताया कि चम्बल के उफान पर उन्हें रोड पर खड़ा कर दिया. उनके मकान में 14 कमरे थे. ऑटो, कार, तीन बाइक, बड़ा बक्सा व दो भैसे थी. अचानक चम्बल से आये पानी के जलजले से मकान डूब गया. बड़ी मुश्किलों से सामानों को निकाला और किसी परिचित के यहां रखवाया.घर अभी भी डूबा हुआ है. वहीं कारीगरी का काम करने वाले हरिशंकर ने बताया कि बेटी निशा बीमार थी. अस्पताल से करीब 15 दिन बाद से घर पर जैसे ही पहुंचे तो चम्बल का सैलाब आ गया, जो हाथ लगा, वह सामान बाहर निकाल लाए. बाकी सब बह गया.
विवाह के गहने भी डूब गए
बूंदी सिलिका निवासी दिव्यांग विनोद ने बताया कि चम्बल के तेज बहाव में पानी घरों में घुसा तो दीवार फांदकर जान बचानी पड़ी. उनके मिलने वाले छोटे भाई का विवाह हुआ था. उसके जेवर भी घर में डूब गए। खाने-पीने का घरेलु सामान भी डूब गया। जबकि अभी मकान बनाया था. उसका प्लास्टर तक नहीं करवा पाया. बिजली की फिटिंग तक नहीं हो पाई. जैसे-तैसे परिवार का पेट पाल रहा था. जिंदगी कब पटरी पर लौटेंगे, उम्मीद नहीं कर सकते है.