इसी साल पद्म श्री से सम्मानित हुए थे ओडिशा के 'माउंटेन मैन', आज दो वक्त की रोटी भी नहीं हो रही नसीब!
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इसी साल पद्म श्री से सम्मानित हुए थे ओडिशा के 'माउंटेन मैन', आज दो वक्त की रोटी भी नहीं हो रही नसीब!

 पद्मश्री से सम्मानित हुए 70 साल के दैतारी नायक का कहना है कि इस अवॉर्ड ने उनसे उनकी आजीविका और उससे जुड़े सभी स्रतों को छीन लिया है, जिससे अब वह बहुत मुश्किल से अपना गुजारा कर पा रहे हैं.औ

तेंदू के पत्तों और कभी आम के पापड़ बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं दैतारी नायक

नई दिल्ली: ओडिशा के मांझी और कैनाल मैन के नाम से मशहूर पद्मश्री विजेता दैतारी नायक 2019 में मिले सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री अवॉर्ड को अब सरकार को वापस लौटाना चाहते हैं. दरअसल, पद्मश्री से सम्मानित हुए 70 साल के दैतारी नायक का कहना है कि इस अवॉर्ड ने उनसे उनकी आजीविका और उससे जुड़े सभी स्रतों को छीन लिया है, जिससे अब वह बहुत मुश्किल से अपना और अपने परिवार का गुजारा कर पा रहे हैं. आज उन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है.

नायक का कहना है कि पद्मश्री मिलने  के बाद से ही लोग उनका काफी सम्मान करने लगे हैं, हालांकि इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो अब उन्हें अमीर होने का ताना देने लगे हैं. जबकि उन्हें इसका फायदा होने की जगह नुकसान ही हुआ है. क्योंकि अब लोग उन्हें इज्जत भरी नजरों से देखते हैं और उन्हें काम देने से कतराते हैं.

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जिससे उन्हें काफी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पद्मश्री मिलने के बाद से ग्रामीण उन पर अमीर बनने का ताना दे रहे हैं, क्योंकि मैनुअल लेबर उनकी गरिमा से नीचे है. ऐसे में नायक का कहना है कि पद्म श्री पुरस्कार ने उनकी किसी तरह से मदद नहीं की, बल्कि उनकी परेशानी बढ़ाई है.

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ओडिशा के 'मांझी' के नाम से पहचाने जाने वाले नायक का आरोप है कि वह और उनका परिवार आज जीवित रहने के लिए चींटी के अंडे खा रहे हैं. वह कभी केंदू के पत्तों और कभी आम के पापड़ बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में अब नायक ने पद्म श्री अवॉर्ड लौटाने का फैसला लिया है. बता दें नायक को इसी साल ओडिशा स्थित अपने गांव में पहाड़ खोदकर 3 किलोमीटर लंबी नहर बनाने के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.

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