कश्मीर घाटी में फैला आतंकवाद वहां के नई पीढ़ी की शिक्षा पर भी असर डाल रहा था.
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पुणे: जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35 ए निष्प्रभावी होने के बाद अब महाराष्ट्र की अग्रणी शिक्षा संस्था वहां उच्च शिक्षा के लिए अपना कैम्पस शुरु करना चाहती हैं. पुणे की शिक्षण प्रसारक मंडली, केजे और वीआईटी जैसी संस्थाओं ने जम्मू-कश्मीर में अपनी शाखाएं फैलाने के लिए कदम उठाने शुरु किए हैं. जिससे यहां पर बड़े-बड़े कैम्पस शुरु करना आसान हो जाएगा. इससे जम्मू-कश्मीर के बच्चों को शिक्षा के लिए यहां से अन्य राज्यों में जाने की जरुरत नही होगी.
कश्मीर घाटी में फैला आतंकवाद वहां के नई पीढ़ी की शिक्षा पर भी असर डाल रहा था. माध्यमिक शिक्षा तो ऐसे-वैसे मिल भी जाती थी. लेकिन उच्च शिक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के छात्रों को देश के अन्य राज्यों में जाना पड़ता था. कश्मीर में आतंकवाद और तनाव के कारण यह छात्र भी यहां से बाहर जाकर ही शिक्षा लेना पसंद करते थे. जम्मू-कश्मीर से महाराष्ट्र के अलग-अलग सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या हजारों में है.
यह इन छात्रों को परिवार वालों पर पढ़ाई का खर्चा बढ़ा ही देती थी. जम्मू-कश्मीर के कई छात्र पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए मुंबई-पुणे और दिल्ली जैसे शहरों में पढ़ाई के साथ-साथ काम भी करते हैं. इससे इनके पढ़ाई पर भी असर हो रहा था. यह सबकुछ इसलिए हो रहा था कि जम्मू-कश्मीर में उच्च शिक्षा के लिए अच्छे कॉलेज-कैम्पस नही हैं.
आर्टिकल 370 का रद्द होना जम्मू-कश्मीर के छात्रों के लिए एक अच्छी खबर भी लेकर आया है. अकेले महाराष्ट्र से सात निजी शिक्षा संस्थाओं ने जम्मू-कश्मीर में अपने कैम्पस शुरू करने की तैयारी की है. पुणे की शिक्षण प्रसारक मंडली यानी एसपी मंडली ने जम्मू-कश्मीर के बदलते हालात को देखते हुए अब वहां पर अपना कैम्पस बनाने की ख्वाहिश जाहिर की है.
शिक्षण प्रसारक मंडली के अध्यक्ष एडवोकेट एके जैन ने बताया कि हमारी संस्था शिक्षकों ने स्थापित की है और शिक्षा का प्रसार उसका उद्देश्य है. अब तक हमने महाराष्ट्र के बाहर कर्नाटक और कुछ और राज्य में अपनी शाखाएं स्थापित की हैं. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा प्रयास जारी हैं. ऐसे में अपना योगदान देने के लिए हम तैयार हैं. अगर मौका मिलता है तो एक शिक्षा संस्था वहां पर जल्द ही शुरु करेंगे.
अकेले एसपी मंडली संस्थान ही नही बल्कि पुणे की केजे और वीआईटी नाम की बड़ी शिक्षा संस्थाएं जम्मू-कश्मीर में अपना कैम्पस शुरू करना चाहती हैं. सरहद नाम की संस्था पिछले 15 सालों से प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर जम्मू-कश्मीर में काम कर रही है. सरहद के अध्यक्ष संजय नहार ने बताया कि 2014 से हम इस प्रयास में हैं. इस बारे में हमारी पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद से भी बात हुई थी. लेकिन कुछ वजहों से वह बात आगे नही बढ़ी थी. लेकिन अब पुणे की शिक्षण प्रसारक मंडली, केजे एजुकेशन ट्रस्ट, वीआईटी जैसे संस्थाओं ने रुचि दिखाई है. हमारी खुद की संस्था सरहद भी वहां जाकर कॉलेज शुरू करने की तैयारी में है. कश्मीरी बच्चों को उच्च शिक्षा मिल सके, इसलिए हम कोशिश करेंगे. इस बारे में राज्यपाल के साथ में लिखा-पढ़ी हो रही है.