कोलकाता के बिपिन गनात्रा पेशे से इलेक्ट्रिशियन और स्वेच्छा से दमकलकर्मी की भूमिका निभा रहे हैं. वो देश के असल जिंदगी के उन नायकों में हैं जिन्होने कभी अपना प्रचार नहीं किया और सामान्य जिंदगी बिताते हुए लोगों की जान और माल की हिफाजत की.
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कोलकाता : पश्चिम बंगाल ने देश को कई महान हस्तियां दी हैं, कोलकाता के कई लोगों ने देश दुनिया में अपनी माटी का नाम रोशन किया है. ऐसे कई नायकों के बारे में आपने पढ़ा होगा, लेकिन आज भी असल जिंदगी में महापुरुष जैसी छवि वाले लोग मौजूद हैं जिनके बारे में दुनिया नहीं जानती. तो आइए आपको सुनाते हैं कोलकाता में देवदूत जैसी छवि रखने वाले बिपिन की अनसुनी कहानी, जिनके बारे में जानकर आपको भी समाज और देश सेवा की प्रेरणा मिलेगी.
40 साल से बचा रहे हैं लोगों की जान
कोलकाता के बिपिन गनात्रा पेशे से इलेक्ट्रिशियन और स्वेच्छा से दमकलकर्मी की भूमिका निभा रहे हैं. वो देश के असल जिंदगी के उन नायकों में हैं जिन्होने कभी अपना प्रचार नहीं किया और सामान्य जिंदगी बिताते हुए लोगों की जान और माल की हिफाजत की. सरकार ने उनकी मानवीय सेवा की भावना से प्रभाविक होकर उन्हे 'पद्म श्री' पुरस्कार (Padma Shri Award) से सम्मानित किया.
बिना वेतन लिए करते हैं सेवा का काम
चार दशकों से मानवता की सेवा कर रहे बिपिन गरात्रा ने कई बार अपनी जान खतरे में डालकर दूसरों की जिंदगी बचाई. वो अपनी सेवा या काम का कोई पैसा नहीं लेते. बकौल बिपिन उन्होने मानव सेवा को भगवान की सेवा समझा है इसलिए कभी उन्होने कभी अपनी सेवा का कोई मोल नहीं लगाया. दमकलकर्मी की भूमिका में उन्होंने हजारों आग बुझाईं, मलबा साफ करने तक से परहेज नहीं किया. घंटो तक बिना रुके और बिना थके मुहिम में लगे रहने वाले गनात्रा देश के वो असली हीरो हैं. जिन्होने सही समय पर पहुंच कर कई बार बच्चों से लेकर बूढ़ों तक की जान बचाई है.
इस वजह से बने दमकलकर्मी
बिपिन ने 12 साल की उम्र के दौरान आग लगने की एक घटना में अपने बड़े भाई नरेंद्र को खो दिया था. इस घटना के बाद उन्होने आग से दूसरों की जान बचाने को अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया. उनका कहना है कि वो अपनी आखिरी सांस तक काम करते रहेंगे. उनका कहना है कि वो नहीं जानते कि अब तक उन्होंने कितने लोगों की जान बचाई या फिर कितनी बार आग बुझाई.
इस तरह चलता है घर का खर्च
इलेक्ट्रिशियन का काम करने पर उन्हे महीने में ढ़ाई हजार रुपए मिलते हैं और इसी से वो अपने परिवार का खर्च चलाते हैं. उन्हे 2017 में सरकार ने पद्म श्री से नवाजा था.
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