CAA-NRC कानून पर हिंसा फैलाने वाले आरोपियों के खिलाफ यूपी पुलिस (UP Police) की कार्रवाई एक बार फिर शुरू हो गई है. पुलिस ने लखनऊ (Lucknow) में कई जगह आरोपियों के पोस्टर्स (posters) लगाकर लोगों से उनकी सूचना देने की अपील की है.
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लखनऊ: CAA-NRC कानून पर हिंसा फैलाने वाले आरोपियों के खिलाफ यूपी पुलिस (UP Police) की कार्रवाई एक बार फिर शुरू हो गई है. पुलिस ने लखनऊ (Lucknow) में कई जगह आरोपियों के पोस्टर्स (posters) लगाकर लोगों से उनकी सूचना देने की अपील की है. इसके साथ ही एक आरोपी जैनब सिद्दीकी के न मिलने पर उनके पिता को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है.
CAA के खिलाफ पिछले साल 19 दिसंबर को हुई थी हिंसा
बता दें कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पारित किया था. इस सूची में तीनों पड़ोसी देशों के मुसलमानों का नाम जुड़वाने के लिए पिछले साल देश भर के मुस्लिम सड़कों पर उतरे थे और कई जगह हिंसा की थी. लखनऊ में भी CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों ने 19 दिसंबर को प्रदर्शन कर बड़े पैमाने पर हिंसा की थी.
योगी सरकार ने अपनाया था सख्त रूख
योगी सरकार ने इस घटना पर सख्त रूख अपनाते हुए दंगाइयों के पोस्टर लगाकर उनसे नुकसान की वसूली का अभियान शुरू किया था. इस अभियान की कई बुद्धिजीवियों ने उस वक्त आलोचना की थी. उसके बाद कोरोना संक्रमण शुरू होने की वजह से वसूली अभियान स्थगित कर दिया गया. अब कोरोना का कहर कुछ कम होने के बाद यूपी पुलिस ने एक बार फिर से आरोपियों की गिरफ्तारी का अभियान शुरू किया है.
कोरोना का कहर थमने फिर शुरू हुई कार्रवाई
यूपी पुलिस ने पुराने लखनऊ में कई जगह मौलाना सैफ अब्बास समेत हिंसा आरोपियों के पोस्टर लगाए हैं. इन पोस्टरों में 12 आरोपियों के फोटो हैं. इनमें से 8 आरोपियों को वांटेड घोषित करते हुए 5-5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है. इसके साथ ही उन पर गैंगस्टर एक्ट और गुंडा एक्ट जैसी कार्रवाई भी की गई है. पुलिस का आरोप है कि पोस्टर में दिखाए गए सभी आरोपी पिछले साल 19 दिसंबर को हुई CAA विरोधी हिंसा में शामिल थे. इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और करोड़ों रुपये की संपत्ति डैमेज हो गई थी.
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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कार्रवाई को बताया था गलत
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसी साल यूपी सरकार की आलोचना करते हुए लखनऊ प्रशासन को चौराहों से हिंसा आरोपियों की होर्डिंग हटाने का आदेश दिया था. जिसके बाद यूपी सरकार ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. यह अपील सुनवाई के लिए अब भी पैंडिंग है.