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नई दिल्ली: आज के दौर की राजनीति दिलचस्प है कोई विधानसभा चुनाव में अपने बहु बेटे के टिकट लिए जोर लगा रहा है तो किसी के बहु और बेटे दूसरी पार्टी में जा कर चुनाव लड़ने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं. इन सबके बीच आज हम आपके लिए एक ऐसी खबर लेकर आए हैं, जिसे पढ़ कर आप भी सोचेंगे कि आजादी के बाद शुरुआती सालों में भारत की राजनीति कितनी अच्छी थी.
आज हम आपको एक ऐसे नेता की कहानी बताएंगे जिन्होंने अपने बच्चो को कभी राजनीति में नही आने दिया लेकिन सपा के वर्तमान संरक्षक मुलायम सिंह यादव को पहला चुनाव लड़वाने में अहम भूमिका निभाई या यूं कहें पहलवानी के अखाड़े से चुनावी अखाड़े में लेकर आए.
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उत्तरप्रदेश की जेवर विधानसभा साल 1957 में अस्तित्व में आई थी और उस साल हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की प्रचंड लहर के बाद भी जेवर सीट में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने जीती थी और जेवर के पहले विधायक बने थे ठाकुर छत्रपाल सिंह. ठाकुर छत्रपाल सिंह उस दौर के बड़े समाजवादी नेता थे और जयप्रकाश नारायण के करीबी थे.
हालांकि साल 1962 में जेवर की यह सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित हो गयी और ठाकुर छत्रपाल दोबारा किसी और सीट से चुनावी मैदान में नही उतरे. सीट आरक्षित होने के बाद ठाकुर छत्रपाल सिंह संगठन के काम में लग गए और अपने उसूलों की वजह से उस समय के बड़े समाजवादी नेताओ के कहने के बाद भी किसी अन्य सीट से भी चुनाव नही लड़े. ठाकुर छत्रपाल सिंह के तीन बेटे हैं. लेकिन उन्होंने अपने किसी भी बेटे को कभी भी राजनीति में नही आने दिया.
ठाकुर छत्रपाल सिंह के छोटे बेटे ठाकुर करनेश सिंह ने Zee News से बात करते हुए बताया कि साल 1967 के चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी ने इटावा जिले की विधानसभा सीटों के लिए तीन नेताओं कर्पूरी ठाकुर, ठाकुर छत्रपाल सिंह और अब्बास अली को जिमेदारी दी थी. इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा के विधायक उस समय सोशलिस्ट पार्टी के कद्दावर नेता नत्थू सिंह थे.
ऐसे में जब 1967 में जसवंतनगर विधानसभा के लिए सोशलिस्ट पार्टी के लिए प्रत्याशी का चयन होना था तो सबको लगा कि सोशलिस्ट पार्टी अपने ही सीटिंग विधायक नाथू सिंह को टिकट देगी लेकिन ठाकुर छत्रपाल सिंह ने उस समय अखाड़े में पहलवानी करने वाले मुलायम सिंह पर भरोसा जताया और बाकी के दोनों नेताओं को समझा कर मुलायम सिंह यादव को जसवंतनगर से राजनीति के मैदान में उतरवाने में अहम भूमिका निभाई.
करनेश सिंह के मुताबिक उस समय के नेता उसूलों के पक्के थे. उस समय असल समाजवाद था जिसमे समाज के बारे में सोचा जाता था, परिवार के बारे मे नहीं. जहां आज एक विधायक जब बड़े कद का हो जाता है तब अपने बेटे बहु के लिए टिकट मांगने लगता है लेकिन पश्चिमी उत्तरप्रदेश के बड़े समाजवादी नेता होने के बाद भी ठाकुर छत्रपाल सिंह ने अपने बच्चो को राजनीति से हमेशा दूर ही रखा.
ठाकुर छत्रपाल सिंह का 2016 में देहांत हो गया था. उनके तीन बेटे हैं. बड़े बेटे ठाकुर कृष्ण प्रताप जिनकी उम्र अभी 72 साल है, फिर ठाकुर किशोर सिंह जो अभी 67 साल के है और सबसे छोटे ठाकुर करनेश सिंह जो 63 साल के हैं इन तीनो ने भी पिता की आज्ञा का ना सिर्फ मान रखा बल्कि किसानी हो अपना व्यवसाय बनाया और आज भी घर किसानी से ही चल रहा है.
ठाकुर करनेश सिंह बताते हैं जब सीट आरक्षित होने के बाद पिता ने उसूलों के आगे कभी दूसरी सीट का रुख नही किया तो उनके बनाए उसूलों से हम लोग समझौता कर लेते इसका प्रश्न ही नहीं उठता है. इस समय उत्तरप्रदेश में चुनावी माहौल पर ठाकुर करनेश सिंह का कहना है कि 'देश के लिये मोदी और यूपी के लिए योगी ही जरूरी हैं. पिता समाजवादी थे लेकिन समाजवाद को तो वर्षों पहले ही समाजवादियों ने खत्म कर दिया था, अब समाजवाद नहीं परिवारवाद बचा है'.
जेवर के पहले विधायक ठाकुर छत्रपाल सिंह के बेटे ठाकुर करनेश सिंह के मुताबिक यूपी में 2017 के बाद कानून व्यवस्था में अधिक सुधार हुआ है. वहीं जेवर में एयरपोर्ट बनने से यहां के युवाओं को अब परदेस में रोजगार और शिक्षा के लिए दर दर भटकना नहीं पड़ेगा ऐसे में इस बार 2022 में मुख्यमंत्री के पद के लिए उनकी पंसद वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही हैं.
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ठाकुर छत्रपाल सिंह के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब गौतमबुद्धनगर में फिल्म सिटी बनाने का फैसला उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था, तब साल 2020 में मुम्बई के फिल्म निर्माता मुकेश मासूम ने इस फिल्म सिटी का नाम जेवर के पहले विधायक ठाकुर छत्रपाल सिंह के नाम पर रखने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था.
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