हर साल पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए ICAR ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे सिर्फ 20 रुपये की लागत में 1 हेक्टेयर तक पराली को एक महीने के अंदर खाद में बदला जा सकता है.
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नई दिल्ली: दिल्ली के लोगों को हर साल नवंबर के महीने से प्रदूषण की मार झेलनी पड़ती है. इसका बड़ा कारण है दूसरे राज्यों में जलाई जाने वाली पराली. लेकिन इस बार भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) पूसा ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे कम पैसों में और कम समय में पराली को खाद में बदला जा सकता है.
हर साल पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए ICAR ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे सिर्फ 20 रुपये की लागत में 1 हेक्टेयर तक पराली को एक महीने के अंदर खाद में बदला जा सकता है.
आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय आज इस तकनीक को समझने के लिए ICAR पहुचें. उन्होंने बताया कि दिल्ली के किसानों को ये डिकम्पोजर कैप्सूल मुफ्त में दी जाएगी. इतना ही नहीं पंजाब और हरियाणा सरकार से भी वहां के किसानों को इसे मुफ्त में देने के लिए बात की जाएगी.
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ICAR ने एक कैप्सूल बनाया है. इसे ऐसे बैक्टीरिया से तैयार किया गया है जो पराली को कम से कम समय में खाद में बदल देते हैं. सिर्फ 4 कैप्सूल ढाई एकड़ तक पराली को एक महीने के अंदर खाद में बदल सकते हैं. एक कैप्सूल की कीमत महज 20 रुपये है.
ICAR के वैज्ञानिक डॉ लवलीन ने बताया कि इन कैप्सूल को गुड़ और बेसन के साथ उबालकर पराली पर छिड़काव किया जाता है. किसानों की सहूलियत के लिए ICAR ने कैप्सूल के साथ-साथ लिक्विड भी तैयार किया है.