Supermoon- Blood Moon चंद्र ग्रहण, सब एक ही बार हो रहा; जानें क्या हैं इसके मायने?
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Supermoon- Blood Moon चंद्र ग्रहण, सब एक ही बार हो रहा; जानें क्या हैं इसके मायने?

साल का पहला चंद्रग्रहण  (Lunar eclipse 2021) 26 मई को लगने जा रहा है. यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जो दुनिया भर के कई देशों में दिखाई देगा. खास बात यह है कि एक ही बार में सुपरमून (Supermoon 2021), चंद्र ग्रहण (Lunar eclipse 2021) और ब्लड मून (Blood Moon) 2021 होगा.

फाइल फोटो साभार: ANI

नई दिल्ली: इस साल का पहला चंद्र ग्रहण (Lunar eclipse 2021) 26 मई को होगा। लेकिन, यह खास परिघटना होगी क्योंकि एक ही बार में सुपरमून (Supermoon 2021), चंद्र ग्रहण (Lunar eclipse 2021) और ब्लड मून (Blood Moon) 2021 होगा. तो हम आपको बता रहे हैं इसके क्या मायने हैं? सुपरमून क्या होता है? 

क्या होता है सुपरमून?
पृथ्वी का चक्कर काटते समय ऐसी स्थिति बनती है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है यानी सबसे कम दूरी होती है. इस दौरान कक्षा में करीबी बिंदु से इसकी दूरी करीब 28,000 मील रहती है. इसी परिघटना को सुपरमून (Supermoon) कहा जाता है. इसमें सुपर का क्या अर्थ है? चंद्रमा के निकट आ जाने से यह आकार में बड़ा और चमकीला दिखता है. वैसे, सुपरमून और सामान्य चंद्रमा के बीच कोई अंतर निकालना कठिन है जब तक कि दोनों स्थिति की तस्वीरों को किनारे से ना देखें.

चंद्र ग्रहण का क्या मतलब है? 
चंद्र ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह या आंशिक रूप से छिप जाता है. यह परिघटना पूर्णिमा के दौरान होती है. इसलिए पहले पूर्णिमा के चंद्रमा को समझने का प्रयास करते हैं. पृथ्वी की तरह ही चंद्रमा का आधा हिस्सा सूरज की रोशनी में प्रकाशित रहता है. पूर्ण चंद्र की स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा और सूरज पृथ्वी के विपरीत दिशा में होते हैं. इससे रात में चंद्रमा तश्तरी की तरह नजर आता है. प्रत्येक चंद्र कक्षा में दो बार चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य दोनों के समान क्षैतिज तल पर होता है. अगर यह पूर्ण चंद्रमा से मेल खाती है तो सूरज, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते हैं और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरेगा. इससे पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है.

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यहां से बेहतर दिखेगा चंद्र ग्रहण
चंद्रमा के, छाया से गुजरने के दौरान चंद्र ग्रहण पृथ्वी के रात वाले हिस्से से दिखेगा. इस तरह 26 मई 2021 को ग्रहण देखने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान प्रशांत महासागर के मध्य, ऑस्ट्रेलिया, एशिया के पूर्वी तट और अमेरिका के पश्चिमी तट में होंगे. अमेरिका के पूर्वी हिस्से से भी यह दिखेगा लेकिन आरंभिक चरण का ही चंद्र ग्रहण नजर आएगा. 

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चंद्रमा लाल क्यों दिखता है?
जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह ढक जाता है तो अंधेरा छा जाता है लेकिन पूरी तरह काला नहीं होता. इसके बजाए यह लाल रंग का दिखता है इसलिए पूर्ण चंद्र ग्रहण को लाल या रक्त चंद्रमा भी कहा जाता है. सूर्य के प्रकाश में सभी रंग होते हैं.  पृथ्वी के वातावरण से गुजरने के दौरान प्रकाश में नीला प्रकाश छन जाता है जबकि लाल हिस्सा इससे गुजर जाता है. इसलिए आकाश नीला दिखता है और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लालिमा छा जाती है. चंद्र ग्रहण के मामले में लाल प्रकाश पृथ्वी के वातावरण से होकर गुजरता है और यह चंद्रमा की ओर मुड़ जाता है जबकि नीला प्रकाश इससे बाहर रह जाता है. इससे चंद्रमा पूरी तरह लाल नजर आता है.

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