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नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) ने पिछले डेढ़ साल से देश में तबाही मचा रखी है. किसी ने अपने माता-पिता खोए तो किसी ने अपने पति-पत्नी, हजारों परिवार और बच्चे अनाथ हो गए. कोरोना ने न सिर्फ लोगों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी, बल्कि मानसिक स्थिति पर भी गहरा आघात किया. कोरोना पॉजिटिव होने पर कई लोग ऐसे भी थे जो अवसाद में चले गए और आत्महत्या कर ली. ऐसे लोगों को डेथ सर्टिफिकेट जारी करने और परिवार को सरकारी मदद दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आगे आया है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को केंद्र सरकार (Central Government) से कहा कि ऐसे मामलों में जहां कोरोना से परेशान होकर किसी ने आत्महत्या की हो तो उसे कोविड-19 (Covid-19) से हुई मौत माना जाए. कोर्ट ने इस बारे में राज्यों को नए दिशानिर्देश जारी देने के लिए कहा है.
TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि हमने आपका शपथपत्र देखा है, लेकिन कुछ बातों पर और विचार करना चाहिए. शपथपत्र में केंद्र के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड से मरे लोगों को आसानी से प्रमाणपत्र देने के संबंध में दिशानिर्देश बनाए हैं. यह निर्देश राज्यों को भेजे गए हैं. दरअसल, केंद्र ने कोर्ट को जो शपथपत्र सौंपा है उसमें कहा गया है कि जहर खाने या अन्य दुर्घटना के कारण अगर मृत्यु होती है तो चाहे कोविड-19 उसमें एक कारण क्यों न हो, उसे कोविड से हुई मौत नहीं माना जाएगा.
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कोर्ट ने कहा कि कोरोना के कारण आत्महत्या करने वाले की मौत को कोविड से हुई मौत नहीं मानना स्वीकार्य नहीं है. उन्हें भी कोविड से हुई मौत का प्रमाणपत्र मिलना चाहिए. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि जिन केसों में यह पहले मना कर दिया गया था, उन्हें प्रमाणपत्र कैसे दिया जाए? कोर्ट ने कहा कि सरकार इस बारे में राज्यों के लिए नए दिशानिर्देश जारी करे.
बता दें कि बीते शुक्रवार सरकार ने कोर्ट में एफिडेविट फाइल कर बताया कि कोविड-19 पॉजिटिव होने के 30 दिन के भीतर किसी की मौत हॉस्पिटल या घर में हो जाती है तो डेथ सर्टिफिकेट पर मौत की वजह कोविड-19 ही बताई जाएगी.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 30 जून को निर्देश दिया था कि जिन लोगों की मौत कोरोना की वजह से हॉस्पिटल या कहीं और भी हुई है, उन्हें कोविड-19 से हुई मौतें मानने पर विचार किया जाए. इसके साथ ही सरकार को इसपर स्पष्ट रूपरेखा बनाने का भी निर्देश दिया था. कोर्ट के निर्देश के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने 3 सितंबर को नई गाइडलाइन जारी की. जिसमें कहा गया है कि कोरोना की पुष्टि होने के बाद अगर कोई मरीज हॉस्पिटल से डिस्चार्ज भी हो जाए तो भी टेस्ट के 30 दिनों के भीतर बाहर मौत होने पर कोविड डेथ माना जाएगा.