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नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) महामारी में जान गंवाने वाले वकीलों (Lawyers) के परिजनों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से झटका लगा है. सर्वोच्च न्यायालय ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें पीड़ित परिवारों को 50-50 लाख रुपए बतौर मुआवजा देने की बात कही गई थी. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई थी कि 60 साल से कम आयु के ऐसे वकीलों के परिजनों को मुआवजा दिया जाए, जिनकी कोरोना या किसी अन्य वजह के चलते मृत्यु हुई है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऐसा कोई भी निर्देश से इनकार करते हुए याचिका तत्काल प्रभाव से खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि वकीलों को अपवाद नहीं माना जा सकता. याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया था कि 60 से कम आयुवर्ग के ऐसे वकीलों को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए जाएं, जिनकी कोरोना महामारी या किसी अन्य वजह से मौत हो गई है.
Supreme Court dismisses a plea seeking direction that compensation of Rs 50 lakh each to be granted to family member of lawyers who died due to COVID-19 or in any other manner within the age of 60 years with immediate effect.
SC says it can't make exceptions for lawyers. pic.twitter.com/q1fj3cZfmj
— ANI (@ANI) September 14, 2021
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याचिका में तर्क दिया गया था कि वकीलों को कोरोना के खतरे के बावजूद काम करना पड़ा है. ऐसे में उनके निधन की स्थिति में पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए बतौर मुआवजा दिया जाना चाहिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को मानने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी. बता दें कि इससे पहले, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हुई मौतों से जुड़ी एक अन्य याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि ये अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि महामारी की दूसरी लहर के दौरान हुईं सभी मौतों के लिए चिकित्सकीय उपेक्षा जिम्मेदार है.
सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें महामारी के मुश्किल वक्त में ऑक्सीजन की कमी और जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की गई थी. याचिका दीपक राज सिंह की ओर लगाई गई गई थी. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने याचिकाकर्ता से अपने सुझावों के साथ सक्षम अधिकारियों के पास जाने और अपनी बात रखने के लिए कहा था.