कोरोना फैलाने के गुनहगार विदेशी जमाती नहीं लौट पाएंगे स्वदेश, जानें पूरा मामला
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कोरोना फैलाने के गुनहगार विदेशी जमाती नहीं लौट पाएंगे स्वदेश, जानें पूरा मामला

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया कि 2,765 विदेशी तबलीगी जमातियों को निजामुद्दीन के जमात में भाग लेने के लिए ब्लैकलिस्ट किया है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के कार्यक्रम में शामिल हुए विदेशी जमातियों की उनके देश को वापसी फिलहाल संभव नहीं है, केंद्र सरकार ने ये जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दी. केंद्र सरकार ने कहा कि इन लोगों की स्वदेश वापसी तब तक नहीं होगी जब तक उनके खिलाफ भारत में किसी भी राज्य में दर्ज आपराधिक मुकदमें की सुनवाई भारत की अदालतों में पूरी नहीं हो जाती है.

कोरोना को लेकर भारत सरकार के दिशा-निर्देशों और राज्य सरकारों व पुलिस के आदेश का उल्लंघन करने पर हजारों जमातियों के खिलाफ विभिन्न राज्यों में क्रिमिनल केस रजिस्टर हैं. जिनकी सुनवाई अदालतों में होनी बाकी है. केंद्र सरकार ने हजारों जमातियों को ब्लैकलिस्ट करके उनके वीजा रद्द कर दिए थे, सरकार के इस आदेश के खिलाफ विदेशी जमातियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं.

विदेशी तबलीगी जमातियों के वीजा रद्द करने और ब्लैकलिस्ट किए जाने के मामले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रत्येक मामले में अलग-अलग आदेश पारित किया गया है. सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने जब इस बात की जानकारी कोर्ट को दी.

बता दें कि जमात के 34 देशों के 34 सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके कहा था कि जमात के 3,500 विदेशी सदस्यों का बिना उनका पक्ष सुने केवल एक प्रेस रिलीज के द्वारा वीजा रद्द कर दिया गया और ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था.

हालांकि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी पूछा था कि अलग-अलग आदेश की बजाय केवल एक प्रेस रिलीज क्यों जारी की गई.

सुनवाई के दौरान याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वीजा जारी करना या रद्द करना सरकार का संप्रभु फैसला है इसमें कोर्ट दखल नहीं दे सकता है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रत्येक मामले में अलग-अलग आदेश जारी किया गया था और इसकी सूचना संबंधित व्यक्ति को ईमेल के जरिए दी गई थी. सॉलिसिटर जनरल की इस दलील के बाद कोर्ट ने कहा कि उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.

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याचिकाकर्ताओं के तरफ से ये दलील दी गई कि वीजा कैंसिल करने के बाद जमात के विदेशी सदस्यों को उनके देश वापस भेजा जाना चाहिए. ब्लैकलिस्टिंग का आदेश तो तब लागू होगा जब वो दोबारा भारत आना चाहेंगे. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि उनके खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है, ऐसे में उन्हें वापस नहीं भेजा जा सकता है.

इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया कि 2,765 विदेशी तबलीगी जमातियों को निजामुद्दीन के जमात में भाग लेने के लिए ब्लैकलिस्ट किया है. सभी लोगों को ट्रेस नहीं किया जा सकता है. इनमें से 1,906 लुक आउट नोटिस जारी किए गए हैं. 11 राज्यों ने लॉकडाउन मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ 205 FIR दर्ज की हैं और 2,679 वीजा रद्द किए गए हैं.

याचिकाकर्ताओं को स्वदेश भेजे जाने की मांग पर कोर्ट ने कहा कि वो स्वदेश भेजे जाने की मांग सरकार से करें अदालत इसमें दखल नहीं देगी. ब्लैकलिस्ट किए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को सुनवाई करेगा.

गौरतलब है कि मार्च में जब देश में कोरोना के मामले लगातार सामने आ रहे थे तब दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए थे. कहा गया कि उनकी वजह से अन्य लोगों में भी कोरोना वायरस बहुत ज्यादा संख्या में फैल गया था.

उसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अप्रैल महीने में तबलीगी जमात के 960 विदेशी नागरिकों को ब्लैक लिस्ट कर दिया, साथ ही इनके वीजा को रद्द कर दिया गया था. गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस और अन्य राज्यों की पुलिस से कहा था कि वह अपने-अपने क्षेत्र में रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम व विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत कार्रवाई करें.

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