सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल पत्नी को पसंद नहीं करने की वजह से उसकी हत्या करने की साजिश करने का सिद्धांत स्वीकार करना सही नहीं है. जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की तीन सदस्यीय पीठ ने इसके साथ ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया.
Trending Photos
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 20 साल से पहले पत्नी की हत्या के जुर्म में कैद पति और उसके भाई को रिहा करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अपराध को देखने के लिए एक समान या सार्वभौमिक प्रतिक्रिया नहीं हो सकती. धारणा के आधार पर नतीजे नहीं निकाले जाने चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल पत्नी को पसंद नहीं करने की वजह से उसकी हत्या करने की साजिश करने का सिद्धांत स्वीकार करना सही नहीं है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष ऐसा कोई सबूत पेश करने में असफल रहा जो साबित कर सके कि सभी आरोपियों के विचार और मंशा एक ही थी.
ये भी पढ़ें- Video: बाप ने गोद में बच्चे को लेकर डराया, गुस्से में उछलकर काट ली नाक
जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की तीन सदस्यीय पीठ ने इसके साथ ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुरेंद्र कुमार (मृतिका का देवर) और रणवीर (मृतिका का पति) को पत्नी कमला रानी की हत्या करने का दोषी ठहराया था.
कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कि रणवीर अपनी पत्नी से खुश नहीं था लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि उसने अपने भाई सुरेंद्र और पिता ओम प्रकाश (सुनवाई के दौरान मौत हो गई) के साथ मिलकर कमला रानी की हत्या की साजिश रची.
पीठ ने कहा, ‘आसान तथ्य व्यक्ति से नाखुशी को अगर स्वीकार भी कर लिया जाए तो व्यक्ति की हत्या की साजिश रचने का मजबूत उद्देश्य पेश नहीं किया जा सका.’
ये भी पढ़ें- Exclusive: वारदात के बाद इस कार में निकला था Sushil पहलवान, Zee News को मिली तस्वीर
अभियोजन पक्ष के मुताबिक आठ अगस्त 1993 को कुछ दिन मायके में रहने के बाद कमला रानी स्कूटर से अपने देवर सुरेंद्र के साथ लौट रही थी. रास्ते में दो बदमाशों से झड़प हुई और वे कमलारानी को सड़क के किनारे स्थित गन्ने की खेत में ले गए और उसे गोली मार दी और गहने लूट लिए.
प्राथमिकी में कमला रानी के ससुराल पक्ष पर मृतिका से दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया जिसके आधार पर अपीलकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया और चार दिन बाद पुलिस ने साजिश और हत्या के आरोप में तीनों को रूप से गिरफ्तार कर लिया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि जब हथियारबंद लुटेरों से सामना हुआ, इसके बावजूद उसे चोटें नहीं आईं लेकिन इससे संदिग्ध गतिविधि का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता.