भारत-ताइवान (India-Taiwan) के रिश्तों पर बात करते हुए ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू (Joseph Wu) ने कहा कि यदि भारत सरकार ताइवान के साथ आर्थिक और व्यापार संबंधों को और भी बेहतर बनाने में रुचि रखती है तो निश्चित रूप से हमारे संबंधों में सुधार होगा.
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नई दिल्ली: भारत और ताइवान (India-Taiwan) के रिश्ते में लगातार सुधार हो रहा है और इस बीच ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू (Joseph Wu) ने दोनों देशों के बीच बढ़ती दोस्ती पर बात की. उन्होंने भारत-ताइवान के रिश्ते को लेकर कहा कि 2016 के बाद से ताइवान सरकार दोनों देशों के बीच मित्रता को बेहतर बनाने के लिए तत्पर है, चाहे लोगों के बीच संबंध हो या व्यापार नीतियां.
कृषि, तकनीकी और शिक्षा में जबरदस्त प्रगति
ZEE NEWS के सहयोगी चैनल WION से बात करते हुए जोसेफ वू ने कहा कि भारत-ताइवान के बीच स्वास्थ्य सेवा, कृषि, तकनीकी और शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने 'जबरदस्त प्रगति' देखी है. उन्होंने कहा, "2018 में हमने भारत के साथ एक समझौते (एक द्विपक्षीय निवेश) पर मुहर लगाई और यह द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हमने देखा है कि भारत में ताइवान का निवेश बढ़ रहा है."
ताइवान ने भारत में पैदा किए 65000 रोजगार
उन्होंने आगे कहा, "भारत में ताइवान के निवेश की कुल राशि अब लगभग 2.3 बिलियन डॉलर (करीब 16900 करोड़ रुपये) है और भारत में हमारे निवेश ने लगभग 65,000 भारतीय लोगों को रोजगार दिया है. ये अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरियां हैं और हम ऐसा करना जारी रखेंगे.
दोनों देशों के संबंधों में कैसे हो सकता है और सुधार
दोनों देशों के बीच संबंधों (India-Taiwan Ralation) में और सुधार कैसे हो सकता है, इस बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, "यदि भारत सरकार ताइवान के साथ आर्थिक और व्यापार संबंधों को और भी बेहतर बनाने में रुचि रखती है. एफटीए या ताइवान और भारत के बीच एफटीए के समान व्यवस्था होगी तो निश्चित रूप से हमारे आर्थिक संबंधों में सुधार होगा.
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भारत की ओर स्थानांतरित हो रहे हैं निवेशक
चीन से दुनिया की आर्थिक दूरी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "ताइवान के कई निवेशक अब चीन से भारत में स्थानांतरित हो रहे हैं." उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यह एक आम धारना है कि वे उन जगहों पर जाएंगे, जो उनके लिए सबसे अनुकूल हैं. इसलिए ताइवान के उच्च तकनीक उद्योग अमेरिका या दक्षिण पूर्व एशिया या भारत में निवेश करेंगे. जब तक उन्हें लगता है कि ये (देश) दोस्त हैं और उन्हें अनुकूल वातावरण मिलेंगे, वे उन देशों में जाएंगे.
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