परिवार बच्ची की हालत का अपडेट इंस्टाग्राम (Instagram) पर पोस्ट करता है. सोशल मीडिया पर अब केंद्र सरकार (Center Government) के फैसले की तारीफ हो रही है. तीरा के परिवार के लिए Zolgensma इंजेक्शन का इंतजाम करना आसान नहीं था.
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मुंबई. केंद्र सरकार के एक फैसले से दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) से पीड़ित पांच महीने की बच्ची की सलामती की उम्मीदें बढ़ गई है. दरअसल सरकार ने मासूम की दवाइयों पर छह करोड़ रुपये का आयात शुल्क और जीएसटी माफ कर दिया है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने मंगलवार को यह जानकारी साझा की है. इस मासूम बच्ची का नाम तीरा है जिसका मुंबई के एसआरसीसी अस्पताल (SRCC Hospital) में इलाज चल रहा है. इस बीमारी का इलाज तो है, लेकिन वह इतना मंहगा है कि, इलाज कराना हर किसी के बस की बात नहीं. इसके इलाज के लिए लगने वाले इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपए हैं.
Sincere gratitude to Hon PM @narendramodi ji for your humanitarian and extremely sensitive approach towards exempting all the taxes (approx ₹6.5 crore) for importing the life saving drug for Mumbai’s 5 month old Teera Kamat!
I wish Teera a speedy recovery & healthy life! pic.twitter.com/wxT8PsnSx5— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) February 9, 2021
तीरा के पैरेंट्स प्रियंका और मिहिर कामत ने सोशल मीडिया पर अपनी परेशानी साझा की. मिहिर कामत ने बताया कि इसकी कारगर दवा जोलगेंस्मा (Zolgensma) आयात की जाती है. इसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. इस पर करीब 6 करोड़ रुपए टैक्स अलग से देना पड़ता है. इस तरह इसकी कीमत 22 करोड़ रुपए हो जाती. लेकिन महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की चिट्ठी पर PM नरेंद्र मोदी ने टैक्स माफ कर दिया है. डॉक्टरों का मानना है कि इंजेक्शन नहीं लगने पर बच्ची बमुश्किल 13 महीने और जिंदा रहती.
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परिवार बच्ची की हालत का डेली अपडेट इंस्टाग्राम पर पोस्ट करता है. सोशल मीडिया पर अब सरकार के फैसले की तारीफ हो रही है. तीरा के परिवार के लिए इंजेक्शन का इंतजाम करना आसान नहीं था. तीरा के पिता मिहिर IT कंपनी में जॉब करते हैं. तकनीक और सोशल मीडिया पर अच्छी पकड़ होने की वजह से उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पेज बनाकर क्राउड फंडिंग की अपील की. इससे गजब का रिस्पॉन्स मिला और 16 करोड़ की रकम भी इकट्ठा हो गई.
इस बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) से ग्रस्त पीड़ित की तंत्रिका कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं. पीड़ित का मांसपेशियों की गतिविधि पर नियंत्रण नहीं रहता है. एसएमए शिशुओं में मृत्यु का एक प्रमुख आनुवंशिक कारण है. यह एसएमए 1 जीन जो कि एक मोटर न्यूरॉन जीन है में उत्पन्न विकार की वजह से होता है. स्वस्थ शरीर में, यह जीन एक प्रोटीन का उत्पादन करता है जो तंत्रिकाओं के माध्यम से मांसपेशियों को नियंत्रित करता है. इस बीमारी की वजह से रोगी में निगलने की समस्या, स्कोलियोसिस जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. SMA पीड़ित को सांस लेने में कठिनाई होने लगती है. ज्यादातर मरीज तो रेस्पिरेटरी फेलियर की वजह से समय से पहले मर जाते हैं.
इस पांच महीने की बच्ची के पिता मिहिर कामत ने बताया, ' जन्म के समय उसकी आवाज बहुत तेज थी. पैदा होने के बाद रोयी तो वेटिंग रूम तक आवाज गयी. उसका दिमाग तेज है और जन्म के समय वो आम बच्चों की तुलना में कुछ लंबी थी, तीर की तरह लंबी, इसलिए इसका नाम तीरा रख दिया'