Bihar Politics: बिहार में तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी के हरा गमछा की जगह हरी टोपी पहनने के लिए कहे जाने पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है.
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राजनीति में प्रतीकों का बहुत महत्व होता है. सो तेजस्वी यादव के नए फरमान के बाद बिहार में विवाद उठना ही था. दरअसल आरजेडी का 10 सितंबर से 'कार्यकर्ता संवाद यात्रा' कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है. तेजस्वी यादव ने इस दौरान पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से हरा गमछा की जगह हरी टोपी/बैज लगाए जाने को प्राथमिकता देने को कहा है. प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह द्वारा इसको लेकर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए हाल ही में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. बस इस पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है.
बीजेपी का हमला
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने इसे लेकर विपक्षी दल पर प्रहार करते हुए आरोप लगाया, ‘‘आरजेडी एक संस्कृति है जो अराजकता, भय और समाज के अंदर उन्माद पैदा करती है. इनके गमछा और मुरेठा को देखते ही लोग इनकी पहचान कर लेते हैं. वे रंगभेद, जाति भेद, क्षेत्रवाद करते रहेंगे. जनता जान गई है कि जो अराजकता उत्पन्न करता है, वह असुर है और असुर कभी मानवता के हित में नहीं हो सकता है.’’
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बिहार के वरिष्ठ मंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप कुमार जायसवाल से इस बाबत पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘अब गमछा पर क्यों रोक लगायी है, यह वही लोग जानें. सतर्क, सावधान हो रहे हैं क्योंकि उनके लोग गड़बड़ी करते पकड़े जा रहे हैं तो उनको लग रहा है कि बचकर रहें.’’
आरजेडी का पलटवार
गमछा को लेकर भाजपा नेताओं की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए राजद के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने आरोप लगाया कि भाजपा की छवि समाज में माहौल खराब करने और नफरत फैलाने की रही है जबकि राजद हमेशा सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता की बात करता है और भारत की गंगा-जमुनी तहजीब और संस्कृति को मजबूत बनाने की कोशिश में लगा रहता है.
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कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ज्ञान रंजन ने कहा, ‘‘समय के साथ परिवर्तन तो होता ही रहता है. अब आरएसएस को देख लीजिए ‘हाफ पैंट से फुल पैंट’ में आ गए. भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेता प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए इस तरह के मुद्दों को तूल देते रहते हैं. प्रदेश में बढ़ रहे अपराध को लेकर वे चुप्पी साधे हुए हैं.’’
(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)