दिल्ली पहुंचे विधायकों में बर्मन के अलावा, सुशांता चौधरी, आशीष साहा, आशीष दास, दिवा चंद्र रंखल, बर्ब मोहन त्रिपुरा और राम प्रसाद पाल शामिल हैं. बागी नेता भले ही दिल्ली पहुंच गए हों, लेकिन मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब पूरी तरह आश्वस्त हैं. उनके करीबी नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं है.
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नई दिल्ली: त्रिपुरा (Tripura) में बीजेपी के लिए नई मुश्किल खड़ी हो गई है. CM बिप्लब कुमार देब (CM Biplab Deb) को अनुभवी और तानाशाह बताते हुए कुछ विधायक उन्हें हटाने की मांग लेकर दिल्ली पहुंचे हैं. बागी खेमे का नेतृत्व सुदीप रॉय बर्मन (Sudip Roy Barman) कर रहे हैं. बर्मन का दावा है कि कई विधायक मुख्यमंत्री के खिलाफ उनके साथ हैं. उन्होंने कहा कि बिप्लब देब का रवैया तानाशाह जैसा है और उन्हें पर्याप्त अनुभव भी नहीं है, इसलिए उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए.
राज्य में बीजेपी के 36 विधायक
बर्मन सहित दिल्ली में कुल सात विधायक डेरा डाले हुए हैं. सभी ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) और गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) से मिलने के लिए समय मांगा है. आपको बता दें कि त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 36 विधायक हैं, ऐसे में यदि सुदीप रॉय बर्मन का दावा सही है तो बीजेपी के लिए सरकार को बचाए रखना मुश्किल हो जाएगा.
दो विधायक हैं कोरोना पीड़ित
दिल्ली पहुंचे विधायकों में बर्मन के अलावा, सुशांता चौधरी, आशीष साहा, आशीष दास, दिवा चंद्र रंखल, बर्ब मोहन त्रिपुरा और राम प्रसाद पाल शामिल हैं. चौधरी ने दावा किया कि दो और विधायक बीरेंद्र किशोर देब बर्मन और बिप्लब घोष भी हमारे साथ हैं, लेकिन कोरोना पीड़ित होने के चलते वह दिल्ली नहीं आ सके. उन्होंने कहा कि हमें बीजेपी से कोई शिकायत नहीं है, लेकिन त्रिपुरा में जो कुछ हो रहा है, वह सही नहीं है.
सरकार को कोई खतरा नहीं
बागी नेता भले ही दिल्ली पहुंच गए हों, लेकिन मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब पूरी तरह आश्वस्त हैं. उनके करीबी नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं है. त्रिपुरा बीजेपी अध्यक्ष मानिक साहा के मुताबिक, सरकार सुरक्षित है और मैं ये कहना चाहता हूं सात या आठ विधायक सरकार नहीं गिरा सकते है.
बागी विधायकों ने साफ कर दिया है कि वो अपनी मांग पर कायम हैं. उन्होंने आगे कहा कि यदि बीजेपी राज्य में लंबे समय तक सत्ता में बने रहना चाहती है, तो उसे देब को हटाना होगा. त्रिपुरा में जो हो रहा है वह बिल्कुल तानाशाही है. मुख्यमंत्री को अपने किसी विधायक पर भरोसा नहीं है, वह खुद दो दर्जन से अधिक विभागों का प्रभार संभालते हैं.
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