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Union Budget 2022: मंगलवार को चारों तरफ बजट (Union Budget 2022) की चर्चा रही. दिनभर सारे टीवी Channels और सोशल मीडिया पर बजट ही छाया रहा.
बजट आपको बहुत बोरिंग लगता होगा कि इसका आपके जीवन पर क्या असर पड़ने वाला है? जैसे आप अपने परिवार का हर महीने का बजट बनाते हैं. ठीक वैसे ही देश का भी बजट होता है. अपने बजट के अनुसार ही कुछ परिवार ग़रीब कहलाते हैं, कुछ मध्यम वर्ग के कहलाते हैं और कुछ अमीर कहलाते हैं.
इसी तरह से जो देश हैं, वो अपने बजट (Union Budget 2022) के हिसाब से अमीर और गरीब देश माने जाते हैं. मंगलवार के बजट से आपको पता चलेगा कि आप आने वाले भविष्य में एक अमीर और विकसित देश के नागरिक बनेंगे या एक ग़रीब और कमज़ोर देश के नागरिक बनेंगे. भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने लगभग 40 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया. यानी ये जो भारत रूपी आपका घर है, इसका एक साल का बजट 40 लाख करोड़ रुपये है. क्या आप जानते हैं कि हमारे देश का पहला बजट कितने का था? हमारा पहला बजट सिर्फ़ 197 करोड़ रुपये का था.
हर वर्ष बजट (Union Budget 2022) की एक ड्रिल यानी एक परम्परा होती है. सबसे पहले सुबह 11 बजे सरकार देश की संसद में उसका बजट पेश करती है. जब बजट पेश हो जाता है, उसके बाद साढ़े 12 बजे के आसपास सरकार और उसकी सहयोगी पार्टियों द्वारा बजट को ऐतिहासिक और दूरदर्शी बताया जाता है. इसके कुछ देर बाद दोपहर के एक बजे विपक्षी पार्टियां और उनके नेता इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं और इसे Disaster बता देते है.
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— Zee News (@ZeeNews) February 1, 2022
फिर थोड़ी देर बाद कुछ और पार्टियां सामने आती हैं और वो इसे उद्योगपतियों का बजट बताने लगती हैं. उसे किसान विरोधी और ग़रीब विरोधी बजट भी साबित कर दिया जाता है. दिनभर इस पर बहस होती है. बड़े बड़े नेता, अर्थशास्त्री और पत्रकार बजट के एक्सपर्ट्स बन जाते हैं, जैसे ये बजट उन्होंने ही तैयार किया है.
इस देश में बजट (Union Budget 2022) से एक दिन पहले तक अगर इस विषय के एक हज़ार एक्सपर्ट्स होते हैं तो बजट वाले दिन इनकी संख्या 10 लाख तक पहुंच जाती है और ये लोग खुद को इसका मास्टर बताने लगते हैं. शाम शाम होते इस देश का आम आदमी कन्फ्यूज़ हो जाता है. जब उसे कुछ समझ नहीं आता तो वो अपना टीवी बन्द करके सोने चला जाता है, क्योंकि उसे अगले दिन सुबह उठ कर फिर से अपने काम पर जाना होता है. लेकिन हम आपको कन्फ्यूज़ नहीं करेंगे. सबसे पहले आपको ये बताते हैं कि इस बजट का मूल स्वभाव क्या है?
पहली बात- ये एक Futuristic बजट है. यानी भविष्य में भारत की दशा और दिशा को निर्धारित करने वाला एक ऐसा बही खाता है, जिसमें सारी Entries दर्ज हैं. इसमें अगले 25 वर्षों की यानी वर्ष 2047 तक की आर्थिक रुपरेखा तय की गई है, जब भारत अपनी आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा. इसमें सड़क, रेल, Highways, सिंचाई परियोजना और दूसरे Infrastructure पर खर्च को ऐतिहासिक रूप से बढाने का ऐलान किया गया है.
भारत को दुनिया के बाज़ार में एक ख़रीदार की बजाय, एक निर्माता के रूप में पेश करने के लिए ऐसा रोडमैप बनाया गया है, जिसका बहुत लम्बा असर होगा. आप इन घोषणाओं को अर्थव्यवस्था की वैक्सीन का बूस्टर डोज़ भी कह सकते हैं.
Futuristic होने के साथ ये भारत को डिजिटल दुनिया में एक बड़ी Super Power बनाने वाला बजट (Union Budget 2022) है. इसमें डिजिटल करेंसी से होने वाली कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाने का ऐलान किया गया है. ये भी घोषणा की गई है कि Reserve Bank of India यानी RBI इस साल भारत की नई डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगा.
इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और रक्षा के क्षेत्र में भी डिजिटल सेवाओं के विस्तार के लिए कई बड़े ऐलान किए गए हैं. अब बैंकों को भी डिजिटल माध्यम से भारतीय डाक के Post Office से लिंक किया जाएगा.
तीसरी बात- ये भारत की अर्थव्यवस्था को विस्तार देने वाला बजट (Union Budget 2022) है. अब तक आम बजट में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर फोकस होता था. लेकिन इस बार अर्थव्यवस्था के विस्तार को प्राथमिकता दी गई है. इसके लिए Make in India, आत्मनिर्भर भारत और विदेशी पूंजी निवेश को केन्द्र में रखा गया है.
चौथी बात- इस बजट में टैक्स को लेकर ज्यादा बदलाव नहीं किए गए हैं, जिससे हमारे देश के मिडिल क्लास को काफ़ी निराशा हुई होगी. हालांकि यहां आपको ये समझना होगा कि भारत की अर्थव्यवस्था पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी से संघर्ष कर रही है और इस दौरान काफ़ी पैसा अर्थव्यवस्थआ को फिर से पटरी पर लाने के लिए खर्च हुआ है. इसके लिए इनकम टैक्स Slab में बिल्कुल छेडछाड़ नहीं की गई. भारत सरकार अपनी टैक्स व्यवस्था में स्थिरता लानी चाहती है क्योंकि यही स्थिरता, देश की अर्थव्यवस्था को उसके उतार चढ़ाव में सम्भाल कर रखेगी.
और पांचवीं बात- ये भारत को नए युग में ले जाना वाला बजट (Union Budget 2022) है, जिसमें कोई भी ऐलान चुनावों को ध्यान में रख नहीं किया गया है. इसके बजाय ज्यादातर घोषणाएं, इस देश की ताकत और उसकी क्षमता को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं. आप कह सकते हैं कि, ये बजट भारत और उसकी अर्थव्यवस्था को Copy Paste वाले सिद्धांत से बाहर निकालने में बड़ी भूमिका निभाएगा. इस आम बजट को आप वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण से भी समझ सकते हैं.
आजादी के बाद से अब तक 74 साल में 93 बजट पेश किए जा चुके हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आज अपना चौथा बजट पेश किया, जो एक घंटे 31 मिनट लम्बा था. इससे पहले वर्ष 2020 में उन्होंने भारत के इतिहास का सबसे लम्बा बजट भाषण दिया था, जो 2 घंटे 42 मिनट लम्बा था.
हालांकि इस बार का बजट भाषण 91 मिनट का था और इसमें कुल 9 हज़ार 200 शब्द थे. इनमें सबसे ज़्यादा 34 बार डिजिटल शब्द का इस्तेमाल किया गया. जबकि पिछले साल के बजट भाषण में इस शब्द का इस्तेमाल सिर्फ़ 6 बार किया गया था. इससे आप समझ सकते हैं कि हम क्यों कह रहे हैं कि ये भारत को डिजिटल दुनिया में Super Power बनाने वाला बजट है.
डिजिटल के बाद सबसे ज्यादा 28 बार टैक्स शब्द का इस्तेमाल किया गया. पिछले साल ये शब्द 46 बार इस्तेमाल हुआ था. इससे पता चलता है कि इस बार का बजट केवल टैक्स तक सीमित नहीं था. इसके अलावा बजट भाषण में 26 बार Infrastructure, 20 बार Customs, 17 बार Health, 12 बार Covid और Pandemic और 12 बार ही किसान शब्द का इस्तेमाल किया गया. और ये सारे शब्द, इस बजट के मूल स्वभाव के बारे में बताते हैं.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को दूसरी बार, बजट (Union Budget 2022) टैबलेट में देख कर पढ़ा. इस दौरान लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भी उन्हें मुस्कुराते हुए कहा कि आज वो डिजिटल बजट पढ़ेंगी.
अर्थशास्त्र कहता है कि बजट तभी तक बजट है, जब तक वो संतुलित होता है. अगर आय और खर्च के बीच खाई पैदा हो जाए तो बजट, बजट ना रह कर एक ख़राब आर्थिक स्थिति बन जाता है. इस बात का अनुभव आपने भी किया होगा.
आप जब गाड़ी ख़रीदने जाते हैं या कोई दूसरा सामान खरीदने जाते हैं तो आपसे पहले सवाल यही होता है कि आपक बजट कितना है? अगर आप किसी चीज़ या सेवा पर अपनी आय से ज्यादा खर्च कर देते हैं तो आपका बजट बिगड़ जाता है. यही एक देश के साथ भी होता है. हालांकि भारत सरकार ने इस बार के बजट को सबसे संतुलित बजट बताया है.