CUET पर राज्यों के विरोध को शांत करने की कवायद, धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र
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CUET पर राज्यों के विरोध को शांत करने की कवायद, धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र

CUET 2022: स्टूडेंट्स पर मानसिक दबाव खत्म करने के लिए सरकार इस बार सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में दाखिले के लिए पहली बार कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET 2022) शुरू करने जा रही है. सरकार की इस पहल पर  तमिलनाडु समेत कई राज्यों ने आपत्ति जताई है, जिससे केंद्र की चिंता बढ़ गई है.

CUET पर राज्यों के विरोध को शांत करने की कवायद, धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र

CUET 2022: कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) के मुद्दे पर तमिलनाडु समेत कुछेक राज्यों की ओर से आपत्ति उठाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने उन्हें साथ लाने की कोशिश शुरू कर दी है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के उच्चशिक्षा मंत्री डॉ के पोनमुडी को पत्र लिखकर CUET के फायदे समझाए हैं. 

'अलग-अलग यूनिवर्सिटी में अप्लाई नहीं करना होगा'

धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) शुरू किया गया है. इसमें छात्र एक आवेदन पत्र के साथ अपनी पसंद के मुताबिक एक से ज्यादा यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकता है. इससे उनका हरेक यूनिवर्सिटी के लिए अप्लाई करने की परेशानी खत्म हो जाएगी. साथ ही उनका खर्च भी बचेगा. 

'13 भाषाओं में प्रवेश परीक्षा देने का विकल्प'

पत्र में बताया गया है कि स्टूडेंट्स के पास देश भर के सैकड़ों परीक्षा केंद्रों से किसी एक के चयन का विकल्प है. इसके साथ ही उन्हें 13 भाषाओं में से किसी एक में प्रवेश परीक्षा में बैठने का ऑप्शन दिया गया है.  शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि अलग अलग राज्य बोर्डों के अंक देने के पैटर्न में बहुत फर्क है. ऐसे में सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में केवल CUET के स्कोर पर ही दाखिला होगा. जिससे उनके साथ किसी भी तरह के भेदभाव की आशंका हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी. 

'12वीं के लेवल का होगा सिलेबस'

उन्होंने पत्र में बताया कि ये परीक्षा स्टूडेंट्स की वैचारिक समझ और ज्ञान को लागू करने की क्षमता का परीक्षण करेगी. इस परीक्षा का पैटर्न आसान होगा और इसके लिए उन्हें किसी तरह की कोचिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी. ग्रेजुएशन कोर्स में दाखिला लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम का सिलेबस 12वीं के स्तर का होगा, जिससे सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित छात्रों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है. इससे छात्रों को आर्थिक बोझ और मानसिक प्रताड़ना कम होगी.

केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान की तरफ से तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ के पोनमुडी को पत्र लिखने के पीछे वजह है. दरअसल कुछ दिन पहले तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर CUET को लेकर अपात्ति जताई थी.

आपत्ति पत्र में क्या कहा था एमके स्टालिन ने?

एमके स्टालिन के मुताबिक ये परीक्षा NCERT सिलेबस के आधार पर होगी. लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि राज्यों के स्टूडेंट्स एनसीईआरटी की किताबें पढ़ते ही हों. लगभग हर राज्यों के बोर्ड अपनी अपनी किताबें चलाते हैं. ऐसे में उन छात्रों के लिए ये परीक्षा मुश्किल हो  जाएगी. जिसका खामियाजा ये होगा कि वो बच्चे अच्छी यूनिवर्सिटी में दाखिला नहीं ले पाएंगे.

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'देश में कोचिंग सेंटर्स का बढ़ेगा धंधा'

सीएम स्टालिन ने पत्र में लिखा था कि CUET के चलते ग्रामीण इलाकों से आने वाले छात्रों के हितों को नजरअंदाज किया जाएगा. जिससे कोचिंग सेंटर का व्यवसाय और भी ज्यादा बढ़ेगा और बच्चों पर शिक्षा का बोझ बढ़ जाएगा. ऐसे में गरीब लोगों को भी मजबूरी में एनसीईआरटी की 'महंगी' किताबें खरीदनी होंगी. स्टालिन के मुताबिक इन्हीं सब बातों को देखते हुए CUET लागू करने के फैसले को वापस लिया जाना चाहिए. तमिलनाडु में CUET को लेकर शुरू हुए विवाद के बीच प्रदेश के राज्यपाल आरएन रवि ने भी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की थी.

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