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बलिया: विवादित बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला (Anand Swaroop Shukla) ने ऐसी ही एक और टिप्पणी करते हुए देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद (Abul kalam azad) पर गंभीर आरोप लगाए हैं. संसदीय कार्य राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने मौलाना अबुल कलाम आजाद पर भारत की शिक्षा पद्धति को नुकसान पहुंचाने का आरोप भी लगाया है.
शुक्ला ने जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में आरोप लगाया, ‘मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है, दुर्भाग्य से देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद (Abul kalam azad) के हृदय में भारत और भारतीयता के प्रति कोई स्थान नहीं था.’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘जहां के लोग पाकिस्तान (Pakistan) नहीं बनाना चाहते थे वहां पाकिस्तान बना और जहां के लोगों ने पाकिस्तान के गठन के लिए ज्यादा वोट किया था, वे देश में ही रह गए. शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के बाद भी एमसी छागला, नूरुल हसन और हुमायूं कबीर जैसे लोगों ने भारत की शिक्षा पद्धति को नुकसान पहुंचाया.’
संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने कहा, ‘कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) ने जब गुरु तेग बहादुर जी (Guru Tegh Bahadur) से आग्रह किया कि आइए हमारी रक्षा कीजिये, औरंगजेब (Aurangzeb) की सेना हम पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बना रही है. जब गुरु तेग बहादुर गए तो औरंगजेब की सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर उनका सिर कलम कर दिया. उन चीजों को इतिहास से हटा दिया गया. केवल जो चीजें दिखाई गईं, उनमें अकबर महान शामिल है, जबकि आईने अकबरी में और अकबर (Akbar) के समकालीन इस्लामी इतिहासकारों ने भी उसे कभी महान नहीं कहा.’ उन्होंने कहा, ‘जो लोग भारत को अखंड रखना चाहते थे, जिनके हृदय में पीड़ा थी कि भारत का प्रथम विश्वविद्यालय तक्षशिला (University of ancient Taxila) जो अफगानिस्तान में है वह हमारा है और हमारा होना चाहिए, उन सारे लोगों को सांप्रदायिक कहा गया.’
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