भगवान राम-कृष्ण पर विवादित टिप्पणी करने वाले प्रोफेसर की नौकरी खतरे में, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने थमाया नोटिस
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भगवान राम-कृष्ण पर विवादित टिप्पणी करने वाले प्रोफेसर की नौकरी खतरे में, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने थमाया नोटिस

Prayagraj News: इलाहाबाद विवि के प्रो. विक्रम पर तलवार लटकी है. भगवान श्रीराम-कृष्ण पर अमर्यादित टिप्पणी मामले में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने नोटिस थमा दिया है. 

Allahabad University Professor Vikram

मो.गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. विक्रम की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन ने विवादित प्रोफेसर डॉ. विक्रम को भगवान श्रीराम और श्री कृष्ण पर अमर्यादित टिप्पणी करने के मामले में नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही सात दिन में स्पष्टीकरण मांगा है. विश्वविद्यालय कार्य परिषद की बैठक में बाकायदा इसका प्रस्ताव पारित किया गया है. बैठक में शामिल सभी सदस्यों ने प्रोफेसर के अमर्यादित बयान पर स्पष्टीकरण के लिए नोटिस जारी करने पर सहमति दी है. 

संतोषजनक जवाब ना मिलने पर होगी कार्रवाई
प्रोफेसर डॉ विक्रम को विवादित बयान के लिए नोटिस भी मिल चुकी है. अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाता है तो प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी कार्य परिषद की तरफ से की जा सकती है. गौरतलब है कि 22 अक्टूबर को इलाहाबाद विवि के मध्यकालीन इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विक्रम ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए भगवान श्री राम और श्री कृष्ण को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट किया था. प्रोफेसर ने लिखा था, 'यदि आज प्रभु श्री राम होते तो मैं ऋषि शम्भुक का वध करने के लिए उनको आईपीसी की धारा-302 के तहत जेल भेजता. यदि आज कृष्ण होते तो महिलाओं के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट के केस के लिए उनको भी जेल में भेजता ?'

पोस्ट वायरल होने के बाद छात्र आक्रोशित हो उठे. उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हिंदू संगठनों ने कर्नलगंज थाने में तहरीर दी थी. साथ ही विवि प्रशासन से भी कार्रवाई की मांग की थी. पुलिस ने इस मामले में आचार्य राजेश कुमार त्रिपाठी की तहरीर पर प्रोफेसर विक्रम के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था. 

बयान पर कायम हैं प्रोफेसर 
विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्य परिषद ने भी प्रोफेसर के बयान की निंदा की. फिलहाल मामला तूल पकड़ने के बाद से प्रोफेसर बैकफुट पर हैं, लेकिन वह अभी भी अपने बयान पर कायम हैं. उनका कहना है कि उनके बयान का मकसद किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करने का नहीं है. उन्होंने धार्मिक ग्रंथ और संविधान के दायरे में रहकर पोस्ट किया था.  

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