Ayodhya 84 Kosi Parikrama: क्या है अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा, 10 प्वाइंट में समझें
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Ayodhya 84 Kosi Parikrama: क्या है अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा, 10 प्वाइंट में समझें

Ayodhya 84 Kosi Parikrama: रामनगरी अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा क्षेत्र में शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है. आइये जानते हैं 84 कोसी परिक्रमा के बारे में...

Ayodhya 84 Kosi Parikrama

84 Kosi Parikrama Marg Ayodhya: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा मार्ग में अब शराब बिक्री पर योगी सरकार ने पूरी तरह से बैन लगाने की घोषणा कर दी है. उत्तर प्रदेश के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय से मुलाकात से बाद यह जानकारी साझा की. आबकारी मंत्री के मुताबिक, अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा क्षेत्र को पूरी तरह से मद्य निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया जाएगा. इसके साथ ही पूरे मार्ग पर स्थित शराब की दुकानों को शिफ्ट किया जाएगा. आइये 10 पॉइंट में अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा के बारे जानते हैं...

1. अयोध्या में तीन परिक्रमाएं हैं. 5 कोस जो करीब 15 किमी की है. 14 कोस जो करीब 42 किमी की है और 84 कोस जो करीब 275 किमी की है. ये सभी भगवान राम से जुड़ी हुई परिक्रमाएं हैं. 

2. चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग पांच जिलों में 275.35 किमी तक फैला हुआ है. इसमें अयोध्या, आंबेडकर नगर, बाराबंकी, बस्ती और गोंडा सहित पांच जिले शामिल हैं. 

3. 84 कोस की परिक्रमा उन सभी महत्वपूर्ण स्थानों से होकर गुजरती है, जो भगवान राम के राज्य से जुड़े हुए हैं. यानी यह अवध क्षेत्र की परिक्रमा कहलाती है. यह परिक्रमा 24 दिन तक चलती है. 

4. 84 कोस की परिक्रमा, मनुष्य को 84 योनियों से मुक्ति दिलाती है. मान्यता है कि इसकी शुरुआत त्रेतायुग में हुई थी. यानी आज से तकरीबन लाखों साल से अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा चलती आ रही है. 

5. धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के मुताबिक, राजा दशरथ ने देवताओं से पुत्र प्राप्ति के लिए अयोध्या से लगभग 20 किमी दूर मनोरमा नदी के तट पर पुत्रयष्ठी यज्ञ किया था. इसके बाद उन्हें अपनी तीन पत्नियों से चार पुत्रों का वरदान मिला. 84 कोस परिक्रमा उसी स्थान से शुरू होती है, जहां यज्ञ किया गया था. उस स्थान को अब बस्ती में मखौरा के रूप में पहचाना जाता है. 

6. पुत्र यज्ञ के लिए दशरथ जी ने करीब 22 दिनों में पैदल ही यात्रा पूरी की थी. इसमें करीब 25 पड़ाव के साथ विश्राम के लिए कई जगहे हैं. दो छोटी परिक्रमा हर साल हजारों भक्तों द्वारा पूरी की जाती हैं, लेकिन 84 कोस परिक्रमा 100-150 से अधिक लोगों द्वारा नहीं की जाती है.  

7. 84 कोस परिक्रमा कार्तिक माह में की जाती है. परिक्रमा करने वाले भक्त दिन में केवल एक बार अनाज ग्रहण कर सकते हैं और बाकी समय फल खाते हैं. परिक्रमा का पहला पड़ाव बस्ती के रामरेखा मंदिर होता है. इसके बाद अगला दो बड़ाव बस्ती के दुबौलिया ब्लॉक के हनुमानबाग और अयोध्या में श्रृंग ऋषि आश्रम है. 

8. भाजपा सरकार ने साल 2021 में 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग 227 बी घोषित कर दिया था. अयोध्या में करीब 80 किमी रिंग रोड और 275.35 किमी चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग नेशनल हाइवे बनाया जा रहा है. विकास कार्य पूरा होने के बाद पर्यटक अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा फोरलेन मार्ग से कर सकेंगे. 

9. इस मार्ग के विकास के लिए 3350 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इस मार्ग के निर्माण के लिए दो तिहाई हिस्से का टेंडर निकाला गया है. इस हिस्से को अगले डेढ़ से दो साल में पूरा करने की तैयारी है. 

10. 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के बीच में पड़ने वाले पौराणिक स्थलों को पर्यटन दृष्टिकोण से विकसित किया जा रहा है. परिक्रमा मार्ग में हर 10 किलोमीटर के अंतराल पर एक-एक विश्रामालय होगा. इसके अलावा 5 मीटर चौड़ा ग्रीन घास संयुक्त पैदल चलने का रास्ता होगा. इसके साथ ही श्रद्धालुओं को सात्विक भोजन प्रदान करने की व्यवस्था है. 236 किलोमीटर के 84 कोसी परिक्रमा मार्ग में रामायण कालीन वृक्षों को लगाया जाएगा. 

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