Ayodhya Ram Mandir: राज्यों ने जिस तरह मंदिर के लिए योगदान दिया है, उससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' पहल की धारणा साफ झलकती है. राम मंदिर के निर्माण में राजस्थान के नागौर के मकराना का इस्तेमाल हुआ है. मकराना के मार्बल से ही राम मंदिर के गर्भगृह में सिंहासन बनाया गया है. इस सिंहासन पर भगवान राज विराजे.
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Ayodhya Ram Mandir: आज पूरे देश में दिवाली मनाई जा रही है. अयोध्या के राम मंदिर में आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. आज यजमान के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे.मोदी के गर्भगृह के अंदर पहुंचने के बाद प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान संपन्न हुआ.सिंहद्वार से प्रवेश करते हुए पीएम के हाथ में रामलला का छत्र नजर आया.पूरा देश दीयों की रोशनी से जगमगा रहा है. लोगों का कहना है कि 500 साल का इंतजार अब खत्म हुआ है. अयोध्या के राम मंदिर के लिए आम नागरिकों से लेकर विभिन्न राज्यों की तरफ से योगदान दिया गया था. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर के लिए किसने क्या योगदान दिया है?
देशभर से आया दान
चंपत राय ने बताया है कि राम मंदिर के लिए देश भर से दोनों हाथों से दान किया गया है. देश का ऐसा कोई कोना नहीं रहा जहां से प्रभु राम के लिए कोई उपहार न आया हो. मंदिर के लिए घंटा कासगंज से आया तो नीचे पड़ने वाली राख रायबरेली से आई है. मध्य प्रदेश के छतरपुर से गिट्टी तो वहीं, तेलांगाना से ग्रेनाइट आया.
इन राज्यों से आईं ये चीजें
कर्नाटक से मूर्ति के लिए काला पत्थर, तो आभूषण की नक्काशी राजस्थान में
चंपत राय ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि गुजरात के अखिल भारतीय दरबार समाज द्वारा 700 किलोग्राम का रथ भी तोहफे के रूप में दिया गया है. कर्नाटक से श्रीराम की मूर्ति बनाने के लिए काला पत्थर आया है. बता दें कि राम जी की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज भी कर्नाटक से हैं और वह मात्र 41 साल के हैं. उन्होंने इससे पहले इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति भी डिजाईन की है. चंपत राय ने बताया कि लकड़ी के काम के कारीगर तमिलनाडु के कन्याकुमारी के हैं. वहीं, भगवान के वस्त्र दिल्ली के एक युवक ने बनाए हैं.उत्तर प्रदेश के एटा जिले में स्थित जलेसर के लोगों ने 24 क्विंटल का घंटा स्वेच्छा से भेजा है. भगवान के आभूषण लखनऊ से बनवाए गए हैं जबकि भगवान राम के आभूषणों की नक्काशी राजस्थान में की गई है. गुजरात की तरफ से 2100 किलोग्राम की अस्तधातु घंटी दी गई.
त्रिपुरा से नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजे, 5 लाख गांवों से आईं ईंटें
अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा ने नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजे और हाथों से बनीं फैब्रिक्स आई हैं. पीतल के बर्तन उत्तर प्रदेश से आए हैं. जबकि महाराष्ट्र से पॉलिश की हुई सागौन की लकड़ी आई. उस पर सोने और डायमंड का काम मुंबई के एक व्यापारी ने किया है.राम मंदिर निर्माण के लिए इस्तेमाल की गईं ईंट करीब 5 लाख गांवों से आईं. मंदिर के पत्थर राजस्थान के भरतपुर और मार्बल मकराना से आए. कह सकते हैं कि राम मंदिर के निर्माण की कहानी अब अनगिनत शिल्पकारों और कारीगरों की कहानी है.
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