अखिलेश यादव CBI की रडार पर, अवैध खनन मामले में होगी भूमिका की जांच
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अखिलेश यादव CBI की रडार पर, अवैध खनन मामले में होगी भूमिका की जांच

डीएम बी. चंद्रकला के खिलाए मौरंग खनन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. 

फाइल फोटो

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. दरअसल, उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में हुए अवैध खनन के मामले में सीबीआई ने शनिवार को तत्कालीन डीएम बी. चन्द्रकला समेत कई लोगों के घर छापेमारी की है. सीबीआई ने कहा है कि अवैध खनन मामले की जांच के लिए एजेंसी यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव से भी पूछताछ करेगी. बता दें कि वर्ष 2012 से 2013 तक यूपी सरकार में अखिलेश यादव के पास खनन मंत्रालय भी था. 

तत्कालीन सभी मंत्रियों की होगी जांच- सीबीआई
सीबीआई ने कहा है कि जो भी लोग अवैध खनन होने के समय में मंत्री रहे हैं, उन सभी की इस मामले में भूमिका की जांच की जाएगी. इस मामले में आदिल खान, IAS अफसर बी. चंद्रकला, माइनिंग अफसर मोइनुद्दीन, समाजवादी पार्टी के एमएलसी रमेश मिश्रा और उनके भाई के साथ माइनिंग क्लर्क राम आसरे प्रजापति, अंबिका तिवारी, माइनिंग क्लर्क राम अवतार सिंह और उसके रिश्तेदार के साथ संजय दीक्षित आरोपी हैं. 

IAS अफसर बी. चंद्रकला के लखनऊ आवास पर छापा
बता दें कि IAS अफसर बी. चंद्रकला के लखनऊ आवास पर सीबीआई ने छापा मारा है. जानकारी के मुताबिक, यहां से सीबीआई टीम ने घर से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं. सरोजनी नायडू मार्ग स्थित सफायर अपार्टमेंट में रहनेवाली डीएम बी. चन्द्रकला के फ्लैट नंबर 101 में सीबीआई की टीम मौजूद है, फिलहाल कार्रवाई जारी है. आपको बता दें कि डीएम के खिलाए मौरंग खनन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. इस केस तहत सीबीआई ने कानपुर, जालौन, हमीरपुर और दिल्ली के कई ठिकानों पर छापेमारी की है. 

क्या है पूरा मामला
योगी सरकार के सत्ता में आने से पहले अखिलेश यादव सरकार में आईएएस बी.चन्द्रकला की पोस्टिंग पहली बार हमीरपुर जिले में जिलाधिकारी के पद पर की गई थी. आईएएस बी.चन्द्रकला पर आरोप हैं कि साल 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग के खनन के पट्टे किए थे. ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था. लेकिन, बी.चन्द्रकला ने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी.

इसके बाद ही साल 2015 में अवैध रूप से जारी मौरंग खनन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2015 को हमीरपुर में जारी किए गए सभी 60 मौरंग खनन के पट्टे अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिए थे. याचिकाकर्ता का आरोप है कि, मौरंग खदानों पर पूरी तरह से रोक लगाने के बाद भी जिले में अवैध खनन खुलेआम किया गया. साल 2016 को तमाम शिकायतों और याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अवैध खनन की जांच सीबीआई को सौंप दी थी, जिसके बाद से सीबीआई इस केस की जांच कर रही है. 

लखनऊ के साथ सीबीआई ने जालौन में भी छापेमारी की, जिसके बाद ठेकेदारों में हड़कंप मच गया. एक ठेकेदार का नाम रामावतार राजपूत बताया जा रहा है, जो बसपा पार्टी के पदाधिकारी है. वहीं, दूसरे ठेकेदार का नाम करन सिंह राजपूत है. ये दोनों हमीरपुर और जालौन में मौरम की खादान चलाते हैं. कानपुर में कारोबारी रमेश मिश्रा के यहां सीबीआई का छापेमारी की. रमेश मिश्रा पर अवैध खनन के आरोप लगते रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, उनके किदवई नगर स्थित ठिकानों पर सीबीआई टीम पहुंची और छानबीन की. 

हमीरपुर के 2 बड़े मौरंग व्यवसायियों के घरों में सीबीआई ने की छापेमारी की वर्तमान एमएलसी रमेश मिश्रा और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजीव दीक्षित के घरों में सीबीआई पहुंची है. जानकारी के मुताबिक, बंद कमरे में सीबीआई पूछताछ कर रही है. सीबीआई की 15 सदस्यीय टीम कार्रवाई में जुटी है.

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