UP के चित्रकूट जेल में कैसे हुई खूनी गैंगवार, कौन है जिम्मेदार? जेल प्रशासन की नाकामी या फिर गहरी साजिश!
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UP के चित्रकूट जेल में कैसे हुई खूनी गैंगवार, कौन है जिम्मेदार? जेल प्रशासन की नाकामी या फिर गहरी साजिश!

इस घटना की शुरुआती जांच के बाद अधिकारियों का ऐसा मानना है कि इसमें जेल के ही किसी शख्स का हाथ है क्योंकि कोरोना की वजह से इन दिनों कैदियों के मुलाकात का सिलसिला बंद था. 

चित्रकूट जेल

अनुज मिश्रा/चित्रकूट: शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे चित्रकूट जेल के अंदर गैंगवार हुई. इस दौरान मेराज उर्फ मेराजुद्दीन और मुकीम काला की हत्या हो गई. जबकि इन दोनों की हत्या करने वाले गैंगस्टर अंशुल दीक्षित जेल पुलिस के एनकाउंटर में मारा गया. जेल के अंदर हुई इस घटना ने जेल प्रशासल पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, कि आखिर जेल के अंदर कैदी तक असलहा कैसे पहुंचे. हालाकिं, इस गोलीकांड के बाद अब इस बात की जांच की जा रही है. इसी बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कमिश्नर, आईजी और डीआईजी जेल की टीम बनाई. उन्होंने 6 घंटे के अंदर इसकी रिपोर्ट मांगी है. 

जांच के लिए गठित की गई टीम
इस घटना की शुरुआती जांच के बाद अधिकारियों का ऐसा मानना है कि इसमें जेल के ही किसी शख्स का हाथ है क्योंकि कोरोना की वजह से इन दिनों कैदियों के मुलाकात का सिलसिला बंद था. ऐसे में किसी जेल के ही कर्मचारी ने हथियार मुहैया कराया होगा.  हालाकिं, अभी इस बात की जांच की जा रही है. इसके अलावा ये भी पता किया जा रहा है कि कहीं ये पूरा मामला किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं है. जांच के लिए टीम का गठन किया गया है. 

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क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, भोपाल से फरारी काट चुके पश्चिमी यूपी के कुख्यात बदमाश अंशु दीक्षित ने शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे मुकीम काला और मेराज अली को मारने के बाद पांच कैदियों को बंधक बना लिया. पुलिस ने अंशु को उन्हें छोड़ने की बात कही. लेकिन वह नहीं माना. आखिरकार वह पुलिस की गोली का शिकार बन गया. हालांकि, ये तीनों कैदी बेहद खतरनाक अपराधी थे. इन्होंने न सिर्फ कई परवारों के चिराग बुझाएं बल्कि दर्जनों मासूमों पर भी जुर्म किए.  

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मुख्तार अंसारी का खास था मेराज 
मेराजुद्दीन उर्फ मेराज अली मुख्तार गैंग का सदस्य था. बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का खास गुर्गा बताया जाता है. हालांकि, पहले उसकी नजदीकी मुन्ना बजरंगी से ज्यादा थी. सूत्रों के मुताबिक, मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद मेराज मुख्तार अंसारी के बेहद करीब आ गया था. 20 मार्च 2021 को वाराणसी जेल से चित्रकूट जेल उसका ट्रांसफर हुआ था. मूल रूप से गाजीपुर का रहने वाला मेराज बनारस के जैतपुर थाने का बड़ा अपराधी था. इलाके में उसका दबदबा था. उसे मेराज भाई नाम से जाना जाता था. असलहों का इंतजाम करना हो या फर्जी दस्तावेज बनाना हो, वह हर काम में माहिर था. पिछले साल अक्टूबर में जैतपुरा पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. 

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कौन है मुकीम काला? 
गैंगवार में मारे गए मुकीम काला पर 61 आपराधिक मुकदमे हैं. मुकीम 12 साल पहले राजमिस्त्री का काम करता था. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक वेस्‍ट यूपी के कैराना में पलायन का मुख्य आरोपी मुकीम काला था. मुकीम काला ने पहली वारदात हरियाणा के पानीपत में एक मकान में डकैती के रूप में अंजाम दी. इस मामले में मुकीम काला जेल भी गया था. उसके बाद उसने अपराध की दुनिया में अपने कदम आगे बढ़ा दिए. मुकीम काला का खौफ वेस्ट यूपी के अलावा हरियाणा के पानीपत और उत्तराखंड के देहरादून में भी फैला है. मुकीम का गैंग पुलिस के रडार पर तब आया, जब इन्होंने पुलिस पर भी हमले करने शुरू कर दिए.

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2015 को आया था एसटीएफ की गिरफ्त में 
पुलिस के मुताबिक, दिसबंर 2011 में पुलिस एनकाउंटर में मुस्तफा उर्फ कग्गा मारा गया. जिसके बाद मुकीम काला ने कग्गा के गैंग की बागडोर संभाली और वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया. पश्चमी यूपी में एक समय आंतक का पर्याय बन चुके मुकीम काला ने अपने गैंग के साथ 15 फरवरी 2015 को सहारनपुर के तनिष्क ज्वैलरी शोरूम में डकैती की वारदात को अंजाम दिया था. जिसके बाद STF ने 20 अक्टूबर 2015 को उसे गिरफ्तार किया था. 

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कौन है अंशुल दीक्षित उर्फ अंशू?
वहीं, इन दोनों बदमाशों को मारने वाला अंशुल दीक्षित भी बेहद शातिर अपराधी था. कुछ साल पहले एक दूसरे जेल से आए उसके वीडियो से ये साफ होता है कि उसका जेलों में क्या रसूख था. सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी का रहने वाला अंशुल दीक्षित लखनऊ विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के बाद अपराधियों के संपर्क में आया था. वह यूनिवर्सिटी के पूर्व महामंत्री विनोद त्रिपाठी का पुराना साथी था. लेकिन बाद में अंशू ने ही उनकी हत्या कर दी थी. साल 2008 में वह गोपालगंज के भोरे में अवैध असलहों के साथ पकड़ा गया था. जिसके बाद ही उसने अपराध की दुनिया में ऐसा कदम रखा कि फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. अंशु को 2014 में गोरखपुर एसटीएफ ने दबोचा था.  

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