किसी फिल्म से कम नहीं करवरिया बंधु के जुर्म की कहानी, पूरे शहर में सुनाई दी थी AK-47 की गूंज
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किसी फिल्म से कम नहीं करवरिया बंधु के जुर्म की कहानी, पूरे शहर में सुनाई दी थी AK-47 की गूंज

1993 में जवाहर यादव ने बालू के ठेकों को तेजी से अपने कब्जे में लेना शुरू किया था और इससे करवरिया परिवार के पास बालू खुदाई के लिए बहुत कम जमीन बची थी. इस जमीन के चारों तरफ जवाहर पंडित की जमीन थी. जानें फिर क्या हुआ...

किसी फिल्म से कम नहीं करवरिया बंधु के जुर्म की कहानी, पूरे शहर में सुनाई दी थी AK-47 की गूंज

प्रयागराज: सेंट्रल जेल नैनी में कैद पूर्व विधायक उदयभान और उनके भाई पूर्व एमएलसी सूरजभान बहुत समय बाद पेरोल पर बाहर आ गए हैं. उदयभान की बेटी की शादी 19 मई को है. जिसके लिए उन्हें पेरोल दी गई है. हालांकि, उनके बड़े भाई पूर्व सांसद कपिलमुनि की रिहाई एक मुकदमे में बेल न होने के कारण अटक गई. वाराणसी के एक मुकदमे में कैदी कपिलमुनि को बेल न मिलने के कारण पेरोल पर नहीं छोड़ा गया है. कल ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उदयभान की बेटी की शादी के लिए अल्पकालिक पेरोल मंजूर की थी.

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क्या हुआ था 13 अगस्त 1996 को?
13 अगस्त 1996 को शाम करीब 6.30 बजे शहर के पॉश इलाके सिविल लाइंस में जवाहर पंडित की अत्याधुनिक असलहों से गोलियां चलाकर हत्या कर दी गई थी. ये पहला मौका था जब प्रयागराज में  किसी की एके-47 से हत्या हुई थी. शहर के सिविल लाइंस में पैलेस सिनेमा और कॉफी हाउस के बीच इस घटना को अंजाम दिया गया था.

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एक मिनट तक सुनाई दी थी AK-47 की गूंज
13 अगस्त 1996 को  इलाहबाद के सिविल लाइंस इलाके में फिल्मी स्टाइल में  UP 70 E 3479 नम्बर की एक सफ़ेद मारुति कार में सवार जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित और उसके साथी गुलाब यादव और कल्लन यादव को दो गाड़ियों ने आगे पीछे से घेर लिया. करीब 1 मिनट तक प्रयागराज की उस जगह पर केवल एके 47 की गूंज सुनाई पड़ी थी. मौके पर ही जवाहर पंडित और उसके ड्राइवर गुलाब यादव की मौत हो गई थी. लेकिन कल्लन किसी तरह से बच गया था. हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप लगा पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया, उनके भाई पूर्व विधायक उदयभान और सूरज भान पर. परिवार के पांच सदस्य नामजद किए गए.

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बालू के ठेके को लेकर शुरू हुआ था वर्चस्व
1993 में जवाहर यादव ने बालू के ठेकों को तेजी से अपने कब्जे में लेना शुरू किया था और इससे करवरिया परिवार के पास बालू खुदाई के लिए बहुत कम जमीन बची थी. इस जमीन के चारों तरफ जवाहर पंडित की जमीन थी. करवरिया के ट्रकों के पास निकलने के लिए जगह नहीं थी. जिसके बाद इनके बीच दुश्मनी इतनी बढ़ गई कि इसका अंजाम बाद में जवाहर पंडित को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा.

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उम्र कैद सुनाई गई थी
प्रयागराज के चर्चित जवाहर पंडित हत्याकांड में कोर्ट ने फूलपुर के पूर्व बीएसपी सांसद कपिलमुनि, पूर्व एमएलसी सूरजभान और पूर्व विधायक उदयभान करवरिया को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में अभियोजन की ओर से 18 गवाहों के बयान कराए गए थे. इसके अलावा करवरिया बंधुओं को निर्दोष साबित करने के लिए बचाव पक्ष की ओर से 156 गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया था. 23 साल तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया था.

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