कुछ ऐसे भी कानून हैं, जो करीब 82 साल पुराने हैं, जिन पर विभाग विचार कर रहे हैं.
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पवन सेंगर/लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नक्श-ए-कदम पर चल रहे हैं. मोदी सरकार की तरह ही योगी सरकार ने भी पुराने हो चुके कानूनों को हटाने का फैसला किया है. 100 साल पुराने और बेकाम के नियम-कानूनों को खत्म किया जाएगा. इसका सीधा मकसद व्यापारियों के लिए बिजनेस का रास्ता आसान करना है. इसके लिए संबंधित विभाग अपने यहां पुराने कानूनों की समीक्षा कर रहे हैं.
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मोदी सरकार के निर्देश पर किया जा रहा है काम
यूपी सरकार पुराने कानून को हटाने का काम केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के निर्देश पर कर रही है. संबंधित विभाग समीक्षा करके बताएंगे कि कौन सा कानून रखा जाए और किसे खत्म किया जाए. इसके अलावा विभाग ये भी बताएंगे कि क्या इन पुराने कानूनों को दूसरे संबंधित अधिनियम में शामिल किए जा सकता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस काम का जिम्मा औद्योगिक विकास विभाग को दिया है. पुराने कानून खत्म होने से उद्यमी अपना उद्योग जल्द लगा सकेंगे और उन्हें नियमों के जंजाल से निजात भी मिलेगा. साथ ही साथ आम जनता को भी नियम-कानून कम होने से राहत मिलेगी.
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1920 से अभी तक चले आ रहे हैं ये कानून
यूपी में कुछ ऐसे कानून हैं, जो साल 1920 से चले आ रहे हैं. जैसे- 'यूपी रूल्स रेगुलेटिंग द ट्रांसपोर्ट टिंबर इन कुमाऊं सिविल डिवीजन -1920'. गौरतलब है कि 20 साल पहले ही कुमाऊं क्षेत्र समेत पूरा उत्तराखंड एक अलग राज्य बन चुका है. लेकिन यह कानून अब भी यूपी में जारी है. कुछ ऐसे भी कानून हैं, जो करीब 82 साल पुराने हैं, जिन पर विभाग विचार कर रहे हैं.
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चार कानून को मिला कर बनाया जा सकता है एक
कुछ ऐसे कानून हैं, जिनसे जुड़े चार अलग-अलग नियम हैं. इन नियमों को मिलाकर एक कानून बनाया जा सकता है. यूपी इशेंसियल कॉमोडिटीज, यूपी शिड्यूल्ड कॉमोडिटीज, यूपी कैरोसीन कंट्रोल आर्डर 1962, यूपी सेल्स ऑफ मोटर स्प्रिट ,डीजल आयल एंड अल्कोहल टैक्सेशन एक्ट पर ये निर्णय लिया जा सकता है. कानून खत्म करने के लिए औद्योगिक विकास विभाग ने विभागों से पूछताछ की है. एक दर्जन विभागों ने जवाब भेज दिया है. माना जा रहा है कि करीब 50 से ज्यादा कानून ख़त्म हो जाएंगे. और इस मामले पर जल्द प्रधानमंत्री कार्यालय भी समीक्षा बैठक भी करेगा.
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