Moradabad News: मुरादाबाद में होने वाली अनोखी रामलीला का हुआ रावण दहन. दशहरे के दिन शुरु होती है यह रामलीला. जानें क्यों दशहरे के बाद इस रामलीला का मंचन किया जाता है और क्या खास है इस रामलीला में?...
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आकाश शर्मा/ मुरादाबाद: अपने आप में विशेष महत्व रखने वाली मुरादाबाद के काशीराम नगर रामलीला में धू धू कर जला रावण, कई मायनों में खास यह रामलीला दशहरे के बाद शुरु की जाती है. मुरादाबाद के काशीराम नगर में इस रामलीला का आयोजन किया जाता है. ब्राह्मण कुल में उत्पन्न हुए रावण की अस्थियों को पूरे संस्कारों के साथ विसर्जन किया जाता है.
मुरादाबाद के काशीराम नगर रामलीला मंचन में हुआ रावण का दहन. इस रामलीला का अपना एक विशेष महत्व है, जिसको देखने के लिए रोज हजारों की संख्या में भारी भीड़ पहुंचती है. यूं तो आपने विजय दशमी के दिन रामलीला का समापन होते आपने कई बार देखा होगा लेकिन आज हम आपको मुरादाबाद की एक ऐसी रामलीला दिखाने जा रहे है जिसका शुभारंभ ही दशहरे के दिन होता है और 6 दिन चलने वाली इस रामलीला में अंतिम दिन रावण दहन का अलग ही महत्व बताया जाता है. इस रामलीला में ब्राह्मण कुल में उत्पन्न रावण का दहन किया जाता है. पूर्ण रूप से अस्थियां विसर्जित की जाती है, जैसे की ब्राह्मण कुल का रिवाज होता है.
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काशीराम नगर की रामलीला
मुरादाबाद के मझोला थाना क्षेत्र के काशीराम नगर में होने वाली इस रामलीला कमेटी के मुख्य आयोजको के अनुसार दशहरे के दिन पुलिस और प्रशासन की टीमें सब जगह चाहिए होती है और ऐसे में हमको पुलिस को बेहतर व्यवस्था भी नही मिल पाती, लेकिन अब पुलिस की व्यवस्था भरपूर रहती है और आने वाले लोग खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं. कमेटी सदस्यों के अनुसार रावण दहन का कार्यक्रम पूर्ण रूप से हो चुका है और अब उनकी अस्थियां बिन कर और उनको पूर्ण रीति रिवाज के साथ राम गंगा में प्रवाहित की जायेंगी ठीक उसी तरह जैसे हिंदू रीति रिवाजों के साथ विसर्जन होना चाहिए, तो वहीं महिलाओं का भी कहना है की महिला की सुरक्षा को विशेष सुरक्षा का ध्यान टीम की महिलाए पुलिस के साथ रखती है.
सामाजिक समरसता का संदेश
इस रामलीला का आयोजन पिछले 11 साल से हो रहा है. रामलीला कमेटी का कहना है कि मुरादाबाद के कलाकार देश के अलग-अलग हिस्सों में मंचन करने जाते हैं. इससे जनपद में स्थानीय कलाकारों की कमी हो जाती है. जैसे ही यह कलाकार दशहरे के बाद लौट आते हैं, वह यहां रामलीला मंचन में शामिल हो जाते हैं. रामलीला मंचन का यह कार्यक्रम लाइन पार,बुद्ध विहार, हिमगिरी क्षेत्र में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बीच किया जाता है. इससे सामाजिक समरसता का संदेश भी जाता है.