अयोध्या: 39 माह में भव्य राम मंदिर बनकर हो जाएगा तैयार, अक्टूबर से शुरू होगी नींव की खुदाई
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अयोध्या: 39 माह में भव्य राम मंदिर बनकर हो जाएगा तैयार, अक्टूबर से शुरू होगी नींव की खुदाई

मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा क्योंकि लोहे की आयु 100 वर्ष के करीब होती है और मंदिर की आयु 1000 वर्ष हो ऐसी निर्माण सामग्री का प्रयोग किया जाएगा. 

अयोध्या: 39 माह में भव्य राम मंदिर बनकर हो जाएगा तैयार, अक्टूबर से शुरू होगी नींव की खुदाई

अयोध्या: अक्टूबर से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू जाएगा और 39 माह में भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा. मंगलवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने इस सम्बंध में जानकारी दी.

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राममंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र और ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने मंगलवार को परिसर में 3 घंटे तक लार्सन एंड टूब्रो कंपनी के इंजीनियरों के साथ बैठक की. जिसके बाद चंपत राय ने बताया कि अभी टेस्टिंग के तौर पर सिर्फ एक 100 फीट की पाइलिंग होगी, इसके लिए एक मशीन भी लाई गई है. ये पाइलिंग कितनी मजबूत होगी उसकी रिपोर्ट आने में एक माह लगेगा. जिसके बाद नींव की खुदाई का काम शुरू होगा. 1200 खम्भों के लिए भी नींव खोदी जाएगी. दरअसल, पूरे परिसर में 1200 जगहों पर पाइलिंग होनी है. पाइलिंग मशीनों से खम्भों को खड़ा करने के लिए खुदाई की जाएगी.

मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा क्योंकि लोहे की आयु 100 वर्ष के करीब होती है और मंदिर की आयु 1000 वर्ष हो ऐसी निर्माण सामग्री का प्रयोग होना है. नींव की आयु मंदिर के पत्थर से ज्यादा हो इसके लिए IIT चेन्नई टेस्टिंग का काम कर रहा है. कितनी गिट्टी, कितनी सीमेंट लगेगा उसपर होमवर्क हो रहा है. वहीं, सीबीआरआई रुड़की और आईआईटी चेन्नई के विशेषज्ञों की ओर से भेजी गयी रिपोर्ट के आधार पर नींव की डिजाइन तैयार हो रहा है.

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राम मंदिर 1000 वर्ष तक सुरक्षित रहे इसके लिए वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं. आईआईटी चेन्नई ने 60 मीटर गहराई से मिट्टी के सैंपल लिए हैं. मिट्टी के सैंपल से मिट्टी की ताकत को मापने का काम किया गया है. साथ ही भूकंप में भी राम मंदिर सुरक्षित रहे इसे लेकर CBRI स्टडी कर रहा है. जिसकी रिपोर्ट जल्द ही राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपी जाएगी. IIT चेन्नई में इस पर भी रिसर्च हो रहा है कि राम मंदिर निर्माण में कौन से सीमेंट, पत्थर, गिट्टी और किस नदी के मौरंग का इस्तेमाल किया जाएगा. यह माना जा रहा है कि रॉबर्ट्सगंज, डाला और बुंदेलखंड की गिट्टी, बेतवा-केन नदी की मौरंग राम मंदिर निर्माण में प्रयोग के लिए अच्छी है. साथ ही मंदिर निर्माण में स्टैंडर्ड कंपनी के सीमेंट का इस्तेमाल किया जाएगा.  चंपत राय ने बताया कि लार्सन एंड टूब्रो कंपनी के इंजीनियर्स के चर्चा की गई है कि कैसे राम घाट से एक बार में पत्थरों की शिफ्टिंग हो. साथ ही परिसर की सुरक्षा को लेकर भी चर्चा हुई है.

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