Laddu Row In India: भारत और दुनिया में लड्डू कहां से आया. देश में लड्डू का इतिहास रोचक और उल्लेखनीय रहा है. लड्डू का इतिहास हजारों साल पुराना है और आज तिरुपति बालाजी के लड्डू से जुड़े विवाद के बाद यह फिर उभर आया है.
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Laddu History in India: भारत में इन दिनों लड्डू पर बहस छिड़ी है. तिरुपति बालाजी में भक्तों को प्रसाद के तौर पर मिलने वाले लड्डू यानी प्रसाद में इस्तेमाल घी में मिलावट को लेकर करोड़ों हिन्दुओं की आस्था को करारा आघात पहुंचा है. इसके केंद्र में है लड्डू. हिन्दुओं के हर छोटे बड़े मंदिर में लड्डू का भोग लगाया जाता है.लेकिन क्या जानते हैं कि देश दुनिया में लड्डू का इतिहास कितना पुराना है.
आपको पता है कि देश दुनिया का पहला लड्डू भारत में ईजाद हुआ था. यह किसी मिठाई की दुकान नहीं बल्कि एक विख्यात चिकित्सक सुश्रुत ने तैयार किया था. तब यह लड्डू औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया गया था, प्रसाद के तौर पर नहीं.
इतिहास से मिली जानकारी के अनुसार, ईसा पूर्व चौथी सदी में महान चिकित्सक सुश्रुत ने ये ईजाद किया था. घी-तिल, गुड़-शहद और मूंगफली और अन्य मेवों को मिलाकर गोल-गोल पिंड बनाए थे, जिन्हें लड्डू का नाम मिला था. जिन भी मरीजों को सर्जरी की जाती थी,उन्हें संक्रमण से बचाने के लिए ये लड्डू दिया जाता था. जड़ी-बूटी, दुर्लभ बीज और औषधीय सामग्रियों को शहद के साथ लड्डू में मिलाया गया और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए घायल योद्धाओं के लिए दिया जाता था.
मोतीचूर के लड्डू (Motichoor ke Laddu)
फिर हर्र बर्र गोंद कतीरा और काजू बादाम पिस्ता का लड्डू में इस्तेमाल हुआ और औषधीय लड्डू बने. आज अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग लड्डू लोकप्रिय हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा से लेकर पूरे उत्तर भारत में मोतीचूर के लड्डू बहुत लोकप्रिय हुए. दक्षिण भारत में नारियल लड्डू के साथ असम में तिल के लड्डू भी आज भी स्वाद में भरपूर हैं.
तिल के लड्डू (Til ke Laddu)
तिल को शहद में मिलाकर उन्हें मरीज को जीवाणुओं के संक्रमण से बचाने के लिए किया जाता था. फिर ये तिल गुड़ के लड्डू अपच, सर्दी से बचाव के साथ ब्लड प्रेशर जैसे रोगों में चिकित्सा और स्वास्थ्यलाभ के लिए किया जाता है. गर्भवती स्त्रियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को ये लड्डू दिए जाते हैं.
गोंद के लड्डू (Gond ke Laddu)
आंध्र प्रदेश में प्रसिद्ध बंदर या तोक्कुडु लड्डू भी फेमस है. यह दुनिया भर में विशिष्ट पहचान रखता है. गोंद के लड्डू सामान्यतया सर्दी में बनाए जाते हैं. महाराष्ट्र में दिनकाचे लड्डू इसे बोला जाता है. गोंद के साथ बादाम, पिस्ता काजू आदि इसमें मिलाया जाता है. ये पौरुष क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होते हैं.
मेथी के लड्डू (Methi ke Laddu)
मेथी के लड्डू वजन घटाने और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खाए जाते हैं. अलसी के तिल लड्डू भी लोकप्रिय हैं. शाही लड्डू खा रिश्ता ईरान से हैं. इसमें खजूर, अंजीर और सूखे मेवे मिलाए जाते हैं.
मनेर के लड्डू
बूंदी का लड्डू सबसे आम है. मुगल शासक आलम दिल्ली से इमली के पत्ते के दोने में इस लड्डू के साथ पटना के मनेर शरीफ गए थे. फिर यह जनता में काफी लोकप्रिय हुआ.शाह आलम ने दिल्ली से रसोइयों को बुलाकर मनेर में कारीगरों को ये लड्डू बनाने की तरकीब सिखाई.
डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सारी बातें केवल जानकारी देने के लिए हैं. Zee UPUK इसके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता है.
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