आखिर 54 साल बाद मिल ही गया बरेली के बाजार में गिरा 'झुमका', जानिए कैसे?
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आखिर 54 साल बाद मिल ही गया बरेली के बाजार में गिरा 'झुमका', जानिए कैसे?

झुमका तिराहा बरेली में एनएच 24 के जीरो पॉइंट पर है. ये झुमका बहुत बड़ा है. उसे एक खंम्भे 32 फीट की ऊंचाई पर लगाया गया है. इसका वजन करीब 2.7 क्विंटल है. इस तिराहे पर लगाए गए विशाल झुमके का लोकार्पण केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने किया.

झुमका तिराहा बरेली

बरेली: आपने ठीक पढ़ा है. 1966 में यानी आज से 54 साल पहले जो झुमका बरेली के बाजार में गिरा था, वो आखिरकार 54 साल बाद बरेली के चौक पर मिल गया है. दरअसल, 1966 में आई सुपरहिट फिल्म 'मेरा साया' का एक गाना बहुत प्रसिद्ध हुआ था जिसके बोल थे 'झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में'. इस गाने ने बरेली को हिंदुस्तान के बच्चे-बच्चे की जुबान पर ला दिया था. ऐसे में बरेली प्रशासन ने अपने शहर की पहचान को बरेली के झुमके से जोड़ने का फैसला लिया. इसके लिए बरेली में एक विशाल झुमका बनाया गया है और एनएच 24 पर जीरो पॉइंट पर 'झुमका तिराहा' बनाया गया है. यहीं पर एक विशाल झुमका लगाया गया है. ये झुमका अभी से लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है. 

ये झुमका बहुत बड़ा है. उसे एक खंम्भे 32 फीट की ऊंचाई पर लगाया गया है. इसका वजन करीब 2.7 क्विंटल है. इस तिराहे पर लगाए गए विशाल झुमके का लोकार्पण केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने किया. गंगवार बरेली के सांसद भी हैं. इस मौके पर उन्होंने कहा कि इससे बरेली की पहचान मजबूत होगी. बरेली विकास प्राधिकरण के कमिश्नर रणवीर प्रसाद ने कहा कि उन्होंने बरेली की सांस्कृतिक धरोहर को लोगों के सामने रखने का प्रयास किया है. 

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यहां झुमका लगाने की शुरुआत फिल्म 'मेरा साया' के गाने 'झुमका गिरा रे' के सिल्वर जुबली यानी 50 साल पूरे होने पर की गई थी. बरेली विकास प्राधिकरण के द्वारा लगाए गए इस झुमके के पीछे का मकसद फिल्म अभिनेत्री साधना को श्रद्धांजलि देना था, लेकिन झुमके पर आने वाली लागत की वजह से उसे उस समय लगाना संभव नहीं हो पाया. बीडीए के पास इतना पैसा ना होने के कारण शहर के लोगों से सहयोग मांगा गया.  इसके बाद इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के मालिक डॉ केशव अग्रवाल ने झुमका लगाने की जिम्मेदारी खुद पर ली और झुमके को लगाया गया.

गौरतलब है कि बरेली अपने आप में बहुत सारे इतिहास को समेटे हुए है. अहिक्षत्र का किला, जैन मंदिर, नाथ नगरी, बरेली का सुरमा, बरेली का मांझा, बरेली का फर्नीचर और बरेली की ज़री-जरदोजी को पहचान दिलाने की जरूरत है. 

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