Bikru Kand: मुख्य शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर कानपुर का बिकरू गांव, जहां अपराध की अपनी ही एक अलग दुनिया थी और उसका बेताज बादशाह था विकास दुबे. इस रिपोर्ट में हम जानेंगे उस अंधेरी रात को घटी उस घटना की पूरी कहानी. जिसमें 8 जाबांज पुलिस के जवान हमेशा के लिए नींद के आगोश में समा गए और ये भी जानेंगे की घटना के बाद अब तक क्या-क्या हुआ?
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Bikru Kand: अपराध के साये में पनपता कानपुर का बिकरू गांव, जहां अपराध की अपनी ही एक अलग दुनिया थी और उस दुनिया का बेताज बादशाह था गैगस्टर विकास दुबे. लूट, डकैती, हत्या, अपहरण जैसे कई संगीन अपराधों में शामिल होने के बाद भी राजनीतिक संरक्षण में विकास दुबे ने अपने अपराधों की पटकथा लिखता रहा और 2020 में एक ऐसी घटना को अंजाम दे बैठा, जिसने उसकी कहानी ही बदल डाली. उस साल को 'काल का साल' कहना गलत नहीं होगा, क्योंकि इसी साल जहां कोरोना अपना कहर बरपा रहा था वहीं बिकरू में आपराधिक महामारी का बोलबाला था. इस आपराधिक महामारी को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 2-3 जुलाई की दरमियानी रात सीओ देवेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में पुलिस टीम ने गैंगस्टर विकास दुबे के गढ़ में धावा बोला, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर थी. पुलिस विभाग के विभीषण ने गैंगस्टर को एक्शन की जानकारी पहले ही दे दी और फिर जो हुआ वह सबने देखा. आइए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं अपराध की इस कहानी में उस काली अंधेरी रात से अब तक क्या-क्या हुआ?
क्या हुआ था उस रात?
दरअसल, कानपुर देहात के चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में 2-3 जुलाई 2020 की दरमियानी रात सीओ देवेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में एक साथ तीन थानों की फोर्स विकास दुबे को दबोचने पहुंची थी. इस छापेमारी में थाने के सबसे छोटे पद से लेकर डिप्टी एसपी रैंक तक के अधिकारी शामिल थे. इसमें अधिकांश पुलिसकर्मी पहली बार ही बिकरू से रूबरू हुए थे. बिकरू गांव में जैसी ही पुलिस पहुंची तो नजारा कुछ अलग ही था. पूरा गांव अंधेरे में डूबा था. जैसे ही पुलिस टीम आगे बढ़ी सामने जेसीबी मशीन मिली. रास्ता इतना संकरा की गाड़ी तो दूर की बात पैदल भी आगे बढ़ना मुश्किल था. फिर भी पुलिसकर्मी एक-एक कर जेसीबी मशीन को पार कर अपराधियों के खात्मे का हौसला लिए अंधकार को चीरते आगे बढ़ने लगे. थोड़ी दूर चलकर पुलिस टीम गैंगस्टर के घर के कोने तक पहुंची और जैसे ही पुलिसकर्मी ने विकास दुबे के छत पर टॉर्च की रौशनी मारी तो पहले से घात लगाकर बैठे बदमाशों ने चारों तरफ से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. गोलियों की बौछार और अंधेरी रात के बीच पुलिस के जाबांज इधर-उधर भागने लगे और जहां पनाह मिली वह अपनी जान बचाने के लिए छिप गए. रिपोर्ट की मानें तो पहली बार में ही बदमाशों ने 20-22 राउंड फायरिंग शुरू कर दी थी.
8 पुलिस जवानों की शहादत
अंधाधुंध फायरिंग की ऐसी वारदात शायद ही किसी ने कभी देखी होगी या सुनी होगी. पूरा गांव सन्नाटे में लीन था या यूं कहें कि गैंगस्टर विकास दुबे के डर से सहमा हुआ अपने घरों में दुबका था. बेखौफ अपराधी पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ गोलियां दाग रहे थे. जो भी उनके निशाने पर आ रहा था उसको शिकार बना रहे थे. बदमाशों की गोलियों से बचने के लिए सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा जान बचाने के लिए एक घर में कूद गए और दरवाजा खोलने के लिए आवाज लगाते रहे, लेकिन घर में मौजूद लोगों ने डर से दरवाजा नहीं खोला. जिसके बाद वह वहीं लेट गए. कुछ ही मिनटों में सामने की छत से बदमाशों ने देख लिया और असलहे-तमंचे के साथ आंगन में कूद गए सीओ पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर बेरहमी से मौत की घाट उतार दिया. कानपुर के बिकरू गांव में उस रात सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र, एसओ शिवराजपुर महेश यादव, एक सब इंस्पेक्टर और 5 सिपाही शहीद हो गए. इतना ही नहीं एसओ बिठूर समेत 4 पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल भी हुए. सुबह जैसे ही 8 जांबाजों के शहादत की खबर मिली, सबकी आंखे गुस्से से लाल हो गईं. कहा तो ये भी जाता है कि गैंगस्टर बिकरू कांड से भी बड़ी वारदात को अंजाम देने के फिराक में था.
साथियों के शहादत का बदला
जहां एक ओर अपने साथियों के इस शहादत का बदला लेने के लिए पूरे सूबे की पुलिस एकजुट थी और गैंगस्टर विकास और उसके साथियों की तलाश में खाक छान रही थी, लेकिन दूसरी ओर सबसे बड़ा सवाल ये भी था कि आखिर पुलिस के इस छापेमारी की खबर बदमाशों को किसने दी थी? आखिर वो विभीषण कौन था, जिसने विकास दुबे के लिए मुखबिरी की थी. हालांकि धीरे-धीरे सारे राज से परदे हटते गए और सवालों के कटघरे में खाकी ही खाकी के खिलाफ खड़ी हो गई. आरोप तो कई पुलिसकर्मियों पर लगे, लेकिन मुख्य आरोपी बने चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी जिनकी गिरफ्तारी भी हुई. इस वारदात के बाद विकास के गैंग का शार्प शूटर अमर दुबे का नाम खूब चर्चाओं में रहा. 4 दिन पहले ही उसकी शादी विकास ने अपने ही घर से धूमधाम से कराई थी. अमर विकास के बेहद करीब था. कहा जाता है कि गैंगस्टर की दिल की बातों को वह नजरों से समझ जाता था और एक इशारे पर गोलियों की बौछार कर देता था. जैसा की उसने 2-3 जुलाई की रात को किया था. उस रात उसके सिर पर खाकी को लाल करने का भूत सवार था, इसलिए जो उसके सामने आया उसे मारता गया. घटना को अंजाम देकर वो भी बिकरू से फरार हो गया. हालांकि, पुलिस ने उस खूंखार हत्यारे को यूपी के हमीरपुर से पकड़ लिया और एनकाउंटर में मार गिराया.
विकास दुबे का खात्मा
जहां पुलिस एक के बाद एक हत्यारों को ढ़ेर कर रही थी वहीं विकास दुबे पुलिस की गिरफ्त से बाहर था. घटना के 7वें दिन यानी 9 जुलाई को विकास कई राज्य घूमते हुए महाकाल के दरबार में उज्जैन पहुंच गया और ये चूहे- बिल्ली की दौड़ खत्म हुई. 9 जुलाई को सुबह 8-9 के बीच महाकाल के चौखट से विकास को गिरफ्तार किया गया, लेकिन ये सवाल भी उठा कि गिरफ्तारी है या सरेंडर? विकास की सूचना एमपी पुलिस ने यूपी पुलिस को दी. शाम 7 बजे के करीब यूपी STF की टीम उज्जैन पहुंची और सड़क के रास्ते विकास को लेकर कानपुर के लिए रवाना हुई. सभी को गैंगस्टर के कानपुर पहुंचने का इन्तजार था. 10 जुलाई को सुबह 6 बजकर 10 मिनट के करीब जब विकास को लेकर टीम कानपुर में दाखिल हुई. कानपुर से पहले पड़ने वाले बारा टोल नाके पर मीडिया और बाकी गाड़ियों को चेकिंग और सुरक्षा की नजर से रोक दिया गया और फिर विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने की खबर आई. जिस माटी से खूनी पटकथा शुरू हुई कई राज्यों का सफर तय करते हुए वहीं आकर खत्म हो गई.
पलट गई थी पुलिस की गाड़ी
विकास के एनकाउंटर के बाद पुलिस ने बताया था कि विकास को लेकर जा रही गाड़ियों काफिले के सामने अचानक गाय-भैसों का झुंड आ गया. इससे बचने के लिए गाड़ी असंतुलित होकर पलट गई, विकास ने परिस्थिति का फायदा उठाकर एक पुलिस वाले की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की. भागते हुए विकास ने पुलिस वालों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. इस फायरिंग के जवाब और आत्मरक्षा में पुलिस ने गैंगस्टर को ढेर कर दिया. इस तरह आठ पुलिस वालों को शहीद करने वाले विकास को पुलिस ने उसके अंजाम तक पहुंचा दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक मौत से पहले विकास ने एसटीएफ को पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताया था. विकास दुबे ने बताया था कि आखिर उसने शहीद सीओ से उसकी क्या दुश्मनी थी? विकास ने शहीद सीओ पर रंजिश के तहत हत्या की कोशिश का आरोप लगाया था.
गांव से खत्म हुई दहशत
विकास दुबे के मरने के बाद भी उसके गांव में दहशत का माहौल देखने को मिला. गांव वालों में विश्वास कायम करने के लिए पुलिस लगातार गांव में गश्त करती रही और गांव वालों के साथ बैठकें भी की. वहीं दूसरी तरफ विकास दुबे का आपराधिक साम्राज्य खत्म करने के बाद अब उसके आर्थिक अपराधों की भी जांच शुरू हुई. प्रवर्तन निदेशालय ने विकास के देशी और विदेशी संपतियों की जांच शुरू की. विकास के एनकाउंटर को लेकर कुछ सवाल भी खड़े हुए, लेकिन एक दूसरा पहलू यह भी था कि एनकाउंटर करने वाली टीम का लोगों ने फूलमाला पहना कर और लड्डू खिलाकर स्वागत किया था. विकास के अलावा उसके पांच और साथी पुलिस के हाथों परलोक सिधार गए.
मुकदमे और जब्ती
बिकरू कांड में कुल 80 एफआईआर दर्ज की गई थीं. विकास दुबे के परिवार और करीबियों की लखनऊ, कानपुर नगर और देहात में 67 करोड़, जयकांत की 2.97 करोड़ और विष्णुपाल की 70 हजार की अचल संपत्तियां सीज कर दी गई थीं. लापरवाही बरतने के दोषी 37 पुलिसवालों पर भी विभागीय एक्शन हुआ. इनमें 6 पुलिसवालों को तो तीन साल तक उस वेतन पर काम करने के आदेश दिए गए, जो उन्हें नौकरी की शुरुआत में मिलता था. दो पुलिसवालों को बर्खास्त किया गया. 36 आरोपितों पर गैंगस्टर और 5 आरोपितों पर एनएसए लगाया गया था.
बिकरू कांड में कितनी गिरफ्तारी?
इस हत्याकांड में कुल 44 लोग गिरफ्तार किए गए थे. जबकि विकास दुबे समेत 6 बदमाश को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था. अब तक 4 मुकदमों में फैसला आ चुका है. 2023 में विकास के गुर्गे अमर दुबे की पत्नी खुशी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी. केस में सिर्फ 5 लोगों को जमानत मिली है बिकरू से जुड़े मुकदमों की पैरवी के लिए कानपुर पुलिस ने अलग से बिकरू सेल बनाया था. कुछ महीनों पहले पुलिस ने गुपचुप तरीके से मनु पांडेय को भी आरोपित बना दिया था. मनु के पति प्रेम प्रकाश को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था, जबकि ससुर विनय जेल में है.
इन मुकदमों में आ चुका फैसला
बिकरू कांड से जुड़े मुकदमों की सुनवाई कानपुर देहात की स्पेशल कोर्ट (एंटी डकैती) में चल रही है. अब तक 4 मुकदमों में दोषियों को सजा सुनाई जा चुकी है. जुलाई 2023 में अदालत ने श्यामू बाजपेई को 5 साल सश्रम कैद की सजा सुनाई थी. 8 जुलाई 2020 को श्यामू ने असलहे की रिकवरी के दौरान पुलिस पर फायरिंग की थी. आरोप है कि श्यामू ने विकास के साथ पुलिस पर फायरिंग भी की. सितंबर 2023 में गैंगस्टर में पाबंद 23 लोगों को दोषी मान 10-10 साल कैद की सजा सुनाई थी. 7 आरोपित बरी किए गए थे. दोषियों के नाम हीरू दुबे, श्यामू बाजपेई, जहान यादव, दयाशंकर अग्निहोत्री, बबलू मुसलमान, रामू बाजपेई, शशिकांत पांडेय, शिवम दुबे, गोविंद सैनी, उमाकांत, शिवम दुबे, धीरेंद्र कुमार द्विवेदी, मनीष, सुरेश वर्मा, गोपाल सैनी, शिव तिवारी, विष्णु पाल, रामसिंह यादव, वीर सिंह, छोटू शुक्ला, अखिलेश दीक्षित, जयकांत बाजपेई और राहुल पाल हैं. विस्फोटक अधिनियम में दयाशंकर अग्निहोत्री को 3 साल की कैद हुई. दयाशंकर की सरकारी राशन की दुकान से विस्फोटक बरामद हुआ था. आर्म्स एक्ट में दोषी रामू बाजपेई को 2 साल की सजा हई थी. रामू मुख्य केस में भी नामजद है. उसकी लाइसेंसी डबल बैरल बंदूक का इस्तेमाल पुलिस पर हमले में हुआ था.
विकास दुबे की पत्नी पर शिकंजा
बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे की संपत्तियां जब्त करने के फैसले पर मुहर लग गई है. कांड के मुख्य आरोपी और गैंगस्टर रहे विकास दुबे, उसकी पत्नी ऋचा दुबे समेत 5 अन्य के खिलाफ अब ईडी ने शिकंजा कसा हुआ है. ईडी ने आरोप लगाया, कि जांच में सामने आया भू माफिया रहा गैंगस्टर विकास दुबे अपने साथियों के साथ जबरन वसूली, हत्या और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए धन के गबन जैसे कई अपराधों में शामिल था. विकास दुबे और अन्य के खिलाफ ईडी का धन शोधन मामला यूपी पुलिस की कई एफआईआर से निकला है. ईडी ने इस जांच के लिए विकास दुबे, उसके सहयोगी जय बाजपेई व परिवार के सदस्यों की 10.12 करोड़ रुपये की संपत्ति भी कुर्क की थी. वहीं ऋचा दुबे पर दूसरे की आईडी से लिए गए सिम का इस्तेमाल करने के मामले में सीजेएम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. पिछली सुनवाई में ऋचा के कोर्ट में उपस्थित न होने पर बचाव पक्ष ने हाजरी माफी दी. अब इस मामले में कोर्ट 22 अगस्त को अगली सुनवाई करेगा.
जांच आयोग की रिपोर्ट
बिकरू कांड की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन हुआ था. आयोग की जांच में DIG अनंतदेव समेत 8 पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया. जिन पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया उनमें DIG अनंत देव, एसपी (ग्रामीण) रहे प्रद्युमन सिंह, तत्कालीन सीओ कैंट आरके चतुर्वेदी, सूक्ष्म प्रकाश का नाम शामिल है. साथ ही SSP दिनेश कुमार, एडिशनल एसपी बृजेश श्रीवास्तव, सीओ बिल्लौर नंदलाल और पासपोर्ट नोडल अफसर अमित कुमार पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए. इससे पहले एसआईटी भी कानपुर में तैनात रहे अफसरों और कर्मियों की आरोपियों से मिलीभगत व लापरवाही का दोषी ठहरा चुकी थी. एसआईटी ने 4 पुलिस अफसरों पर कठोर दंड व 4 को लघु दंड देने की सिफारिश की थी. ये जांच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएस चौहान की अध्यक्षता में गठित जांच आयोग ने की. इससे पहले गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले में इस तीन सदस्यीय जांच आयोग ने पुलिस को क्लीन चिट दी थी. कहा गया था कि दुबे की मौत के इर्दगिर्द का घटनाक्रम जो पुलिस ने बताया है उसके पक्ष में साक्ष्य मौजूद हैं. अब 4 सालों के बाद आज यूपी विधानसभा में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले कानपुर के चर्चित विकास दूबे मामले में गठित न्याय आयोग की रिपोर्ट रखी जायेगी.
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